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पावंटा साहिब को रेलवे लाइन से जोडऩे की मांग रह गई सिर्फ चुनावी मुद्दा

Shantanu Roy
16 May 2024 10:48 AM GMT
पावंटा साहिब को रेलवे लाइन से जोडऩे की मांग रह गई सिर्फ चुनावी मुद्दा
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पांवटा साहिब। पांवटा वासियों को रेलवे लाइन से जोडऩे की मांग का मुद्दा पिछले 60 साल से लंबित पड़ा है। चुनाव जीतने के बाद केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय में गुम हो जाता है। पांच साल बाद फिर चुनाव आते हैं और फिर नेता रेलवे की मांग पूरी करने और पावंटा को रेलवे से जोडऩे की घोषणाएं करके जनता को गुमराह करते हैं। बुधवार को वरिष्ठ नागरिक परिषद के सदस्यों द्वारा की गई बैठक में पांवटा को रेलवे लाइन से जोडऩे को लेकर चर्चा की गई। वरिष्ठ नागरिक परिषद के सदस्यों ने बैठक में कहा कि सभी राजनीतिक दलों द्वारा रेलवे लाइन को लेकर सिर्फ राजनीति ही की गई। बैठक में यह मुद्दा विषेश रूप से उठाया गया। इस दौरान सदस्यों ने कहा कि पांवटा साहिब एक औद्योगिक तथा धार्मिक नगर है। देेश के पर्यटन के मानचित्र पर भी यह अपना विशेष स्थान रखता है। इस क्षेत्र के निवासियों विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा करने में अत्यंत कठिनाई अनुभव होती है। अत: पांवटा साहिब को रेलवे लाइन से जोडऩे की मांग दशकों से यहां के निवासी करते आए हैं, लेकिन यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है।
इसकी कई बार घोषणा भी हुई संसद में प्रस्ताव भी रखा गया। ऊंट के मुंह में जीरे के समान बजट भी आबंटित हुआ है। दो-तीन बार सर्वेक्षण भी हुआ लेकिन नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात। सदस्यों ने कहा कि इसमें शायद राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव है अथवा क्षेत्र के निवासियों की प्रार्थना में ही कोई कमी रह गई जो यह योजना अभी भी लंबित है। वरिष्ठ नागरिक परिषद पांवटा साहिब द्वारा एक बार फिर सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि पांवटा साहिब को रेलवे के मानचित्र पर लाया जाए। बता दें कि पांवटा साहिब की जनता ने कई साल पहले कांग्रेस पार्टी की केंद्र में सरकार होते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई बार पत्राचार किया। सिरमौर की नागरिक कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र मोहन रमौल, हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन लाल खुराना, चैंबर ऑफ कॉर्मस पांवटा साहिब के अध्यक्ष सतीश गोयल, गुरुद्वारा प्रंबधक कमेटी पूर्व मैनेजर सरदार कुलवंत सिंह ने पत्र लिखे। इस पत्र में मांग की गई है कि सिरमौर जिला के पांवटा क्षेत्र को रेल लाइन से जोडऩे के लिए 60 के दशक में सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया गया था। अब फिर चुनाव आ गए हैं महंगाई, बेरोजगारी, क्रप्शन के मुद्दों के अलावा लोगों के पास पांवटा में रेलवे लाइन लाने का मुदा भी है, परंतु देखना यह है कि इस बार भी यह सिर्फ मुद्दा ही बनकर रह जाता है या आने वाले पांच सालों में इसको लेकर सरकार द्वारा काम किया जाएगा।
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