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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से NEET PG काउंसलिंग शुरू करने की मांगी को दी इजाजत, कहा- डाक्टर परेशान हैं उनकी चिंता जायज
Apurva Srivastav
5 Jan 2022 4:54 PM GMT
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आरक्षण के पेंच में फंसी नीट पीजी की काउंसलिंग पर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत मांगते हुए कहा कि डाक्टर परेशान हैं और उनकी चिंता जायज है।
आरक्षण के पेंच में फंसी नीट पीजी की काउंसलिंग पर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत मांगते हुए कहा कि डाक्टर परेशान हैं और उनकी चिंता जायज है। कोर्ट काउंस¨लग शुरू करने की इजाजत दे दे और ईडब्लूएस की सालाना आठ लाख रुपये आय सीमा के आधार व प्रक्रिया पर सुनवाई जारी रखे, सरकार सुनवाई में पूरा सहयोग करेगी और कोर्ट में विस्तृत ढंग से ब्योरा पेश करेगी।
उधर दूसरी और नीट के आल इंडिया कोटे में आरक्षण लागू करने को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से इस वर्ष की नीट की काउंसलिंग में आरक्षण लागू करने का विरोध किया गया। मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। उम्मीद है कि गुरुवार को कोर्ट काउंसलिंग शुरू करने के बारे में कोई आदेश दे। रेडीडेंट डाक्टर्स काउंसलिंग में हो रही देरी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
नीट पीजी में इसी वर्ष से ओबीसी को 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को 10 फीसद आरक्षण देने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने मामले पर पुनर्विचार किया तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई और कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मेहता ने ओबीसी और ईडब्लूएस आरक्षण को सही ठहराते हुए कहा कि सरकार ऐसी कोई विवेचना स्वीकार नहीं कर सकती जिसमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और ईडब्लूएस उस चीज से वंचित होते हों जो उनका कानूनी अधिकार है।
उन्होंने कहा कि ईडब्लूएस आरक्षण 2019 से लागू है। कई नियुक्तियों में लागू हुआ है। आज हम ऐसी स्थिति मे हैं जिसमे काउंसलिंग रुकी हुई है। हमें डाक्टरों की जरूरत है और हम अभी लंबी बहस में नहीं पड़ सकते। कोर्ट काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दे दे। बाद में आपत्तियों पर सुनवाई करता रहे। नीट के आल इंडिया कोटे में आरक्षण लागू करने का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट से उनका भी पक्ष सुनने का आग्रह किया। कोर्ट ने उन्हें पक्ष रखने की इजाजत दी।
याचिकाकर्ताओं ने कमेटी की रिपोर्ट और नीट के आल इंडिया कोटे में ओबीसी व ईडब्लूएस आरक्षण लागू करने पर सवाल उठाए। वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि इस वर्ष से नीट में ओबीसी और ईडब्लूएस आरक्षण नहीं लागू किया जा सकता क्योंकि जब इस आरक्षण को लागू कर ने की घोषणा की गई थी उस समय तक नीट परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। खेल का नियम बीच में नहीं बदला जा सकता।
उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए नीट पीजी का ब्रोशर जारी होने और रिजस्ट्रेश ने लेकर पूरी टाइम लाइन पेश की। उन्होंने कहा कि आल इंडिया कोटे में आरक्षण सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की इजाजत से लागू हो सकता है। कार्यकारी आदेश के जरिये इसमें आरक्षण लागू नहीं हो सकता। उन्होंने आल इंडिया कोटे में आरक्षण पर कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला दिया। दूसरे याचिकाकर्ताओं के वकील अरविन्द दत्तार ने ईडब्लूएस के लिए आठ लाख सालाना आय सीमा बरकरार रखने की कमेटी की सिफारिश पर सवाल उठाए।
दत्तार ने कहा कि ईडब्लूएस के लिए आठ लाख आय सीमा तय करने के लिए ओबीसी की तरह अध्ययन और कमेटियों की संस्तुतियां नहीं हैं। यह आय सीमा मनमानी और गलत है। रिपोर्ट में कैपिटल गेन और शेयर से हुई एक लाख तक की आय को छूट दी गई है। जो लोग शेयर से कैपिटल गेन ले रहे हैं वे ईडब्लूएस कैसे हो गए।
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