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देश में मंकीपॉक्स वायरस के चार मामले सामने आ चुके हैं. अभी तक 77 देशों तक ये वायरस फैल चुका है, विश्वा स्वास्थ्य संगठन ने भी बढ़ते मामलों को देखते हुए हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है. अब इस बीच सभी के मन में सिर्फ एक सवाल है कि आखिर ये पता कैसे चले कि किसी को मंकीपॉक्स हो गया है? अब भारत की ही कंपनी Genes2Me ने एक ऐसा RT-PCR टेस्ट तैयार किया है जिससे 50 मिनट के भीतर सटीक परिणाम मिल जाएंगे.
दावा किया गया है ये टेस्ट सिर्फ और सिर्फ मंकीपॉक्स के लिए डेवलप किया गया है. इस टेस्ट के जरिए 50 मिनट से कम समय में बताया जा सकता है कि कोई शख्स इस वायरस से संक्रमित है या नहीं. कंपनी ने जोर देकर कहा है कि इस किट का इस्तेमाल एयरपोर्ट, अस्पताल, स्वास्थ्य शिवरों में स्क्रीनिंग के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है. टेस्टिंग के लिए सूखे स्वैब और स्वैब दोनों का उपयोग किया जा सकता है. Genes2Me के सीईओ नीरज गुप्ता के मुताबिक वे वर्तमान संसाधनों के साथ एक हफ्ते के अंदर 50 लाख परीक्षण किट बना सकते हैं, लेकिन अगर उन्हें पर्याप्त संसाधन दिए जाएं और समय मिले तो एक दिन में 20 लाख तक की क्षमता भी डेवलप की जा सकती है.
यहां ये जानना जरूरी है कि अभी ये टेस्ट मार्केट में नहीं आया है. सिर्फ रिसर्च के लिए ही इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. जब तक ICMR इस टेस्ट को हरी झंडी नहीं दिखा देता, मंकीपॉक्स को लेकर Genes2Me का आरटी-पीसीआर टेस्ट मार्केट में नहीं उतारा जा सकता
जानकारी के लिए बता दें कि मंकीपॉक्स और कोरोना दोनो वायरल इनफेक्शन हैं. दोनों के सोर्स एनिमल ही हैं लेकिन फिर भी इनमें अंतर है. कोरोना Coronaviridae मंकीपॉक्स Poxviridae ग्रुप का है. कोरोना में शरीर के ऊपर चिट्टे और फुंसिया नहीं होती. वहीं सेक्सुअल रूट और ब्लड रूट के साथ ही मंकीपॉक्स कोरोना की तरह ही फैलता है. कॉविड से अलग मंकीपॉक्स बहुत तेज़ी से नहीं फैलता है. मंकीपॉक्स की मृत्यु दर जीरो से 3% के बीच रही है. कोविड के सिंपटम फास्ट हैं लेकिन मंकीपॉक्स के नहीं.
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