श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ी कार्रवाई की है. एनआईए ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ दर्ज एक मामले के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की सहायता से रविवार को जम्मू-कश्मीर में लगभग 56 स्थानों पर छापेमारी की है. श्रीनगर में सौरा निवासी गाजी मोइन-उल इस्लाम के आवास और नौगाम में फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर छापेमारी की.
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनआईए ने कश्मीर के सभी 10 जिलों और जम्मू प्रांत के चार जिलों- रामबन, किश्तवाड़, डोडा और राजौरी में 56 स्थानों पर संयुक्त छापेमारी की. एनआईए की एक वरिष्ठ टीम ऑपरेशन करने के लिए नई दिल्ली से श्रीनगर के लिए रवाना हुई है. जांच निकाय ने दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों को जब्त कर लिया है और इसे जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक कहा जाता है. प्रवक्ता ने कहा, " प्रतिबंधित संगठन के पदाधिकारियों, सदस्यों और कथित तौर पर जमात-ए-इस्लामी द्वारा संचालित ट्रस्ट के कार्यालय परिसरों में आज तलाशी अभियान चलाया गया. अभियान के दौरान, संदिग्धों के परिसर से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए." केंद्र ने फरवरी 2019 में आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत इस आधार पर जमात-ए-इस्लामी को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था कि वह आतंकवादी संगठनों के ''करीबी संपर्क में'' था और उसके पूर्ववर्ती राज्य में ''अलगाववादी आंदोलन को बढ़ाने'' की आशंका थी.
गृह मंत्रालय ने सुरक्षा मामलों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत इस समूह को प्रतिबंधित करने वाली अधिसूचना जारी की थी. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से कुछ महीने पहले ही यह प्रतिबंध लगाया गया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के सैकड़ों सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.
प्रवक्ता ने कहा, " फरवरी 2018 में संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद जमात-ए-इस्लामी की अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते गृह मंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने पांच फरवरी 2021 को एक मामला दर्ज किया था."