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Shimla. शिमला। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश मिलने के बाद तुरंत बाद नालागढ़ के स्टोन क्रशरों को लेकर कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अनिल जोशी की अगवाई में विशेष टीम इन स्टोन क्रशरों का दौरा कर वहां पर कमियों को ढूंढेगी। शनिवार को वहां अलग-अलग स्टोन क्रशर में जाकर व्यवस्थाएं देखी जाएंगी, जिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगा। गुरुवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हाई कोर्ट ने आदेश जारी किए थे जिसके बाद शुक्रवार को बोर्ड ने इस मामले में अपनी रणनीति बनाई है। शनिवार को प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव अपनी टीम के साथ मौके पर होंगे और वहां सभी स्टोन क्रशर का दौरा किया जाएगा। बता दें कि हाई कोर्ट ने विशेष तौर पर नालागढ़ के स्टोन क्रशरों पर निर्देश दिए हैं। इनमें कमियां जांचने के लिए कहा गया है और प्रदूषण बोर्ड को इस पर अपनी रिपोर्ट देनी है। अपने आदेशों में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को स्वयं क्षेत्र में स्थापित स्टोन क्रशरों का निरीक्षण करने और उन स्टोन क्रशरों की मशीनरी को जब्त व परिसर को सील करने के आदेश दिए।
जिन्होंने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण सोलन की 13 दिसंबर, 2023 की रिपोर्ट में बताई खामियों को पूरा नहीं किया है। कोर्ट ने डीसी सोलन और एसपी बद्दी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को उपरोक्त कार्यवाई के दौरान उचित सहायता प्रदान करने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने यह आदेश हंदूर पर्यावरण मित्र संस्था द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात जारी किए हैं। इस मामले में प्रार्थी ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 13 स्टोन क्रशरों को प्रतिवादी बनाया है। आरोप है कि जिन टिप्परों में 15 टन माइनिंग माल दर्शाया जाता है उनमें अकसर 30 से 35 टन माल ढुलाई होती है। इससे सरकार को प्रति टिप्पर हजारों रुपए का नुकसान होता है। जब अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वे स्टोन क्रशर मालिकों की पैरवी करने लगते हंै। नियमों को दरकिनार कर नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे डाले जा रहे हैं। गांव जोगों जगतपुर, नंगल, कुंडलु, मलैहनी और बनियाला निवासियों ने भी कई बार काला कुंड नदी की माइनिंग लीज रद्द करने की गुहार लगाई क्योंकि लीज धारक नदी का अवैध दोहन कर रहे हैं।
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