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प्रदेश उच्च न्यायालय ने बीआरओ और इंजीनियर्ज इंडिया लिमिटेड से जल्द मांगा जबाव

Shantanu Roy
26 Sep 2023 10:26 AM GMT
प्रदेश उच्च न्यायालय ने बीआरओ और इंजीनियर्ज इंडिया लिमिटेड से जल्द मांगा जबाव
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शिमला। हिमाचल के राजमार्गों में भूस्खलन को रोकने के लिए बीआरओ और इंजीनियर्ज इंडिया लिमिटेड अपने सुझाव देंगे। केंद्र सरकार ने इन्हें हाई पावर कमेटी में शामिल किया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने कमेटी से जल्दी सुझाव देने की आशा जताई है। मामले की सुनवाई 13 अक्तूबर को निर्धारित की गई है। भविष्य में इस तरह की आपदा से निपटने के लिए अदालत ने कोर्ट मित्र से सुझाव आमंत्रित किए है। अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के बारे में भी सुझाव दिया जाए। इस अधिनियम में उपायुक्त को मलबे को हटाने संबंधी आदेश पारित करने के लिए सक्षम बनाया है। इसके अलावा अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिए है कि वह मलबे की डंपिंग के लिए तुरंत प्रभाव से मंजूरी दे, ताकि राजमार्गों में पड़े मलबे की डंपिंग की जा सके।
बता दें कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है। श्यामकांत धर्माधिकारी की ओर से लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को हो रहे नुकसान हो रहा है। प्रदेश में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सडक़ें और पुलों से पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है। सडक़ों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है। अदालत को बताया गया कि हालांकि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है। तकनीक की कमी और पुराने उपयोग के कारण सडक़ की रिटेनिंग दीवारें कमजोर है। जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। चिंता का विषय है कि तीन मीटर सडक़ के दोनों तरफ की जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहीत की गई है, जबकि शहरों और गांवों में सर्विस लेन नहीं है, जिससे हादसे का खतरा रहता है।
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