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Larji Project की बिजली पर सिल्ट का कहर

Shantanu Roy
27 July 2024 12:02 PM GMT
Larji Project की बिजली पर सिल्ट का कहर
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Sainz. सैंज। प्रदेश सरकार के प्रतिष्ठित 126 मेगा वाट के लारजी हाइड्रो प्रोजेक्ट के जल भंडारण में जमा गाद ने एक बार फिर परियोजना प्रबंधन के होश उड़ा दिए हैं। गत दिन लारजी में फ्लशिंग के दौरान जब जल भंडारण के सभी फाटक खोल दिए गए तो झील के किनारे लाखों मिट्रिक टन गाद जमा हो गई। करीब पांच किलोमीटर में फैली लारजी की झील में लगभग 13 लाख क्यूबिक मीटर जल भंडारण की क्षमता है। अब अंदेशा लगाया जा सकता है कि इतने बड़े जल भाग में कितनी सिल्ट जमा हो सकती है। परियोजना प्रबंधन ने हर बार की भांति इस बार भी बांध खाली करवाया ताकि डैम में जमा सिल्ट पानी के साथ बह जाए लेकिन डैम साइट पर लाखों टन सिल्ट जमा हो गई। जिसके चलते परियोजना प्रबंधन बेबस नजर आए। पिछले एक वर्ष से पावर हाउस में उत्पादन ठप है और अब सिल्ट इसके लिए रोड़ा बना है। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि लारजी डैम में गाद से निपटने की कोई योजना नहीं है तथा लारजी में इसकी बानगी कई बार देखी जा चुकी है। बताया जा रहा है कि कुल्लू जिले में बहने वाली नदियां व्यास ,पार्वती, तीर्थन, सरवरी व सैंज आदि नदियों की सिल्ट
लारजी डैम में इक्क्ठे होती है।

जल भंडारण के इनलेट व आउटलेट गेट जाम हो जाते हैं जिस कारण आपदा की स्थिति में यहां बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं सिल्ट की मात्रा लगातार बढ़ रही है। हालांकि पीक सीजन में पानी की भरपूर उपलब्धता के बावजूद प्रोजेक्ट की टरबाइन खूब घूमती है, लेकिन झील में गाद का गदर इतना है कि आने वाले समय में यह बिजली उत्पादन में रोड़ा बन सकती है। पर्यावरण प्रेमी मेहर सिंह कारदार ने बताया कि गाद बढऩे का बड़ा कारण कैचमेंट एरिया में कैट प्लान का सही क्रियान्वयन का नहीं होना है,जबकि रही सही कसर नदी नाले, सडक़ प्रोजेक्ट्स व अवैज्ञानिक खनन ने पूरी कर दी है। उन्होंने बताया कि फोरलेन सडक़ प्रोजेक्ट एवं अन्य परियोजनाओं का मलवा नदी में फेंका गया है जबकि सरकार प्रशासन व परियोजना प्रबंधन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने करीब दस वर्ष पूर्व लारजी प्रोजेक्ट में जमा सिल्ट की मुक्ति के लिए हाइड्रोलिक ट्रेश रॉक क्लीनिंग मशीन खरीदने की योजना बनाई थी तथा इसके लिए ग्यारह लाख रुपए का बजट पास किया लेकिन अभी तक यह मशीन लारजी नहीं पहुंच पाई है। आलम यह है कि गाद से प्रबंधन की परेशानी बढ़ती जा रही है और लारजी प्रोजेक्ट पर संकट के बादल छा रहे हैं। बहर हाल लारजी प्रोजेक्ट की बिजली की चमक आगामी समय में फीकी पडऩे वाली है।
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