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Hospice. धर्मशाला। किशन कपूर पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। किशन कपूर शांता कुमार को अपना राजनीतिज्ञ गुरु मानते थे। शांता कुमार ने ही किशन कुमार की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा था। बकौल शांता कुमार जब उन्होंने एडवोकेट अभिमन्यु चोपड़ा से धर्मशाला में गद्दी समुदाय से कोई नाम सुझाने को कहा, तो उन्होंने कहा कि खनियारा से किस्सो नाम का युवा है, जो तेज तर्रार है। इसके बाद कपूर से बातचीत कर उन्हें राजनीति में उतारा था। किशन कपूर की खासियत थी कि वह किसी भी स्कीम को लागू करने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से अध्ययन करते थे। हमेशा पार्टी के लिए काम करने वाले किशन कपूर को जब सांसद के चुनाव के लिए मैदान में उतारा गया, उस समय वह प्रदेश में बतौर मंत्री काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने पार्टी के आदेशों को मानते हुए सांसद का चुनाव लडऩे की हामी भर दी।
उन्होंने कहा था कि वह प्रदेश के लिए अभी कुछ और करना चाहते थे, लेकिन अगर पार्टी उन्हें दिल्ली भेजना चाहती है, तो वह जरूर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने चुनाव भी लड़ा और बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की। पूर्व मंत्री व सांसद किशन कपूर के निधन से एसटी समुदाय को गहरा धक्का लगा है। किशन कपूर जनजातीय समुदाय के बड़े नेता माने जाते थे। कांगड़ा-चंंबा की सियासत में एसटी समुदाय का अहम रोल रहता है। किशन कपूर ने एसटी समुदाय की आवाज को विधानसभा से लेकर संसद तक जोर-शोर उठाया। किशन कपूर जब अधिकारियों की बैठक लेते थे, तो अधिकारी अपना होम वर्क पूरा कर ही बैठक में आते थे। कई बार अधिकारियों पर अधूरे काम या सही जबाब न देने पर कपूर उन्हें सरेआम फटकार भी लगा देते थे।
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Shantanu Roy
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