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Shimla. शिमला। शिमला जिला के दूरवर्ती क्षेत्र डोडराक्वार में बागबानी विभाग द्वारा बागबानों से की गई सेब खरीद के मामले में घपलेबाजी की बू आ रही है। डोडराक्वार के एसडीएम ने बागबानी विभाग के अधिकारियों द्वारा खरीदे गए सेब की रिपोर्ट और मौके पर की गई जांच में अंतर पाया है। ऐसे में एसडीएम ने बागबानी विभाग को संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है मगर हैरानी की बात है कि दिसंबर महीने में एसडीएम की ओर से पत्र भेजा गया है अब तक बागबानी विभाग इस पर कदम नहीं उठा पाया है। सूत्रों के अनुसार एसडीएम ने अपने पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि इससे सरकारी खजाने को चूना लगाने की कोशिश की गई है। यहां बता दें कि मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत बागबानी विभाग बागबानों से सेब की खरीद करता है। बागबानों से सी व डी ग्रेड का सेब लिया जाता है। हालांकि इस बार सेब की क्वालिटी अच्छी ली गई है क्योंकि सरकार ने एमआईएस में सेब खरीद के नियमों का बदल दिया था। मगर डोडरा क्वार जो कि शिमला जिला का दूरवर्ती क्षेत्र है, वहां पर एमआईएस की खरीद में कथित धांधली पाई गई है।
एसडीएम डोडराक्वार धर्मेश कुमार ने जो रिपोर्ट बागबानी निदेशक को भेजी है उसमें उन्होंने कहा है कि डोडराक्वार के एप्पल कलेक्शन सेंटर जाखा और पंडार में सेब की खरीद बागबानों से की गई है। एरिया मेनेजर हिमफेड और एसडीएम कार्यालय से कानूनगो व पटवारी की एक टीम सीनियर सेल्स एग्जीक्यूटिव के साथ मौके पर भेजी गई थी। सीनियर सेल्स एग्जीक्यूटिव ने अपनी रिपोर्ट एसडीएम को 29 नवंबर, 2024 को सौंपी है। इस इंस्पेक्शन टीम ने अपनी जो रिपोर्ट उन्हें दी है उसके अनुसार सेब खरीद की रिपोर्ट और मौके पर मौजूद सेब के बीच काफी ज्यादा अंतर पाया गया है। लाइन ऑफिसर ने पहली नवंबर, 2024 को रिपोर्ट की थी कि 1102 सेब के बैग जाखा कलेक्शन सेंटर और 776 बैग पंडार कलेक्शन सेेंटर में जुटाए गए हैं। मगर जब इंस्पेक्शन टीम इन दोनों सेंटरों में जांच के लिए गई तो वहां पर जाखा में केवल 372 सेब के बैग पाए गए, वहीं पंदार में केवल 20 सेब के बैग पाए गए हैं। कलेक्शन सेंटर पंडार में हिमफेड की आउटसोर्स कर्मचारी कुसुम लालटा ने कहा कि उसे केवल 78 बैग मिले जिनमें से 20 बैग स्टोर में रखे गए और बाकी खुले स्थान पर रखे गए। पानी घोटाले में बागबानी विभाग की एक गाड़ी का नंबर दिया गया है, जिसमें पानी ढोने का आरोप है। इसी तरह से कई ऐसे वाहनों के नंबर दे दिए गए, जो कि सरकारी हैं और वो पानी के टैंकर नहीं हैं।
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Shantanu Roy
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