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विदेशों में नौकरी दिलाने पर लूट, 8 शातिर अपराधी गिरफ्तार
मुंबई। पुलिस ने एक ऐसे लुटेरों के गैंग का पर्दाफाश किया है, जो विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को फंसाता था. विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले कैंडिडेट का वीजा, इमीग्रेशन बनाने के लिए अलग-अलग शहरों में कैंडिडेट को डॉलर लेकर बुलाते थे और फिर उनके साथ डॉलर की लूट की वारदात को अंजाम देते थे. मुंबई के साकीनाका पुलिस स्टेशन में 7 दिसंबर को दो भाइयों ने शिकायत दर्ज कराई कि उनके साथ 11,000 डॉलर की लूट हुई है. शिकायत में पुलिस को उन्होंने बताया कि उन्हें पंजाब से मुंबई बुलाया गया था और उन्हें इटली में जॉब दिलाने का झांसा दिया गया।
आरोपियों ने पीड़ित से बोला था कि आप इमीग्रेशन बनवाने के लिए साथ में डॉलर लेकर आएं. जब यह दोनों भाई मुंबई पहुंचे और इस गैंग के लोगों को यह कंफर्म हो गया कि यह डॉलर अपने साथ लेकर आए हैं तो इन्होंने अपने कुछ गैंग के सदस्यों को इन्हें लेने के लिए उस होटल के पास भेजा जहां पर यह रुके थे. आरोपियों ने इन्हें गाड़ी में बिठाया और इमीग्रेशन का काम करवाने के बहाने नवी मुंबई ले गए और एक सुनसान जगह पर उनसे 11,000 डॉलर लूटकर फरार हो गए. इसके बाद यह मामला साकीनाका थाने स्टेशन में दर्ज कराया गया. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी।
मुंबई जोन 10 के डीसीपी दत्ता नलावडे के मुताबिक, इस गैंग के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें 3 की ट्रैवल एजेंसी है. बाकी 5 आरोपी उनके साथ काम करते थे. इस गैंग के सदस्य दिल्ली, पुणे, पंजाब और गोवा के रहने वाले हैं जिन्हें वहां से गिरफ्तार किया गया. इनके पास से करीब 4 हजार डॉलर बरामद किए गए हैं. गिरफ्तार 8 आरोपियों की पहचान हिमांशु गुप्ता (23), दिल्ली, सौरभ खरात (25), ट्रैवल एजेंट, पुणे, प्रतीक शिंदे (20), पुणे, दिनेश सातपुते (30), पुणे, अनिल शेते (31), पुणे, महेश गरुड़ (21), पुणे, राजीव उर्फ सुरेश वर्मा, (24), हरियाणा और विशाल थोरात (31), पुणे के रूप में की गई है।
पुलिस पूछताछ में ऐसे ही 2 और मामलों का खुलासा हुआ है. आरोपियों से जानकारी मिली कि गैंग के सदस्यों ने करीब 40 हजार डॉलर की लूट इसी तरह से की है. डॉलर की लूट के पीछे इनका तरीका था कि जिस भी शख्स को ये विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर शिकार बनाते थे. इमीग्रेशन का खर्च डॉलर में ही अदा होता है तो इससे कैंडिडेट उनके झांसे में आसानी से आ जाते थे. लोगों का अपना शिकार बनाने के लिए आरोपी गलत नंबर प्लेट लगी या फिर चोरी की गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे. डीसीपी मुंबई नलावडे ने बताया कि पुलिस जांच में पता चला है कि यह गैंग अपने शिकार से कांटेक्ट करने के लिए ऐप के जरिए कॉल करता था और उनसे संपर्क बनाता था. फिलहाल पुलिस इस मामले में आगे जांच कर रही है. लुटेरों का यह गैंग कितना बड़ा है. पुलिस ने लोगों से यह भी अपील की है कि ऐसे लुटेरों के गैंग से सावधान रहें जो विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर डॉलर की लूट का धंधा करते हैं।