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ऑक्सीजन की कमी को लेकर प्रियंका गांधी ने केंद्र को घेरा, फेसबुक पोस्ट के जरिए पूछे तीखे सवाल

Apurva Srivastav
29 May 2021 7:12 AM GMT
ऑक्सीजन की कमी को लेकर प्रियंका गांधी ने केंद्र को घेरा, फेसबुक पोस्ट के जरिए पूछे तीखे सवाल
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प्रियंका ने अपनी फेसबुक पोस्ट में भारतीय वैज्ञानिकों को भी सराहा

कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ रहे कोरोना मामलों और राज्यों में हुई ऑक्सीजन की कमी को लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है. प्रियंका ने इस पोस्ट में ऑक्सीजन संकट के चलते देश में पैदा हुई स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार माना है. इस फेसबुक पोस्ट में उन्होंने सरकार से कई सवाल भी पूछे हैं. इस फेसबुक पोस्ट में प्रियंका गांधी ने लिखा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के चलते बड़ी संख्या में लोगों के तड़प-तड़प कर दम तोड़ने की खबरें आईं. ऐसे में इसका जिम्मेदार कौन है.

प्रियंका गांधी ने इस फेसबुक पोस्ट के जरिए लिखा कि पिछले एक साल से कोरोना का तांडव चल रहा है. इस दौरान केंद्र सरकार ने कोरोना पर विजय घोषित की, संसद के अंदर मंत्रियों ने इस विजय के लिए प्रधानमंत्री का स्तुतिगान भी कर किया. मगर देश के वैज्ञानिकों से चेतावनी के बावजूद दूसरी लहर के खतरे को आपराधिक लापरवाही के चलते अनदेखा किया. प्रधानमंत्री जी की प्रचार-पिपासा के आगे बेबस केंद्र सरकार ने दूसरी लहर से निपटने की बेसिक तैयारी भी नहीं की
विश्व का सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश
प्रियंका ने अपनी फेसबुक पोस्ट में भारतीय वैज्ञानिकों को भी सराहा. उन्होंने लिखा भारत अपने वैज्ञानिकों, मेहनती नागरिकों व पिछली सरकारों के प्रयासों की वजह से विश्व का सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश है. आज बोकारो, भिलाई जैसे बहुत से कारखाने देश में ऑक्सीजन सप्लाई कर रहे हैं. भारत की क्षमता प्रतिदिन 7500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन करने की है. दूसरी लहर के चरम पर भी कुल मिलाकर देश के सारे अस्पतालों में उपयोग में आई ऑक्सीजन के आंकड़ें कुछ इस प्रकार हैं-
1 मई: 7603 मीट्रिक टन/प्रतिदिन
6 मई: 8920 मीट्रिक टन/प्रतिदिन
9 मई: 8944 मीट्रिक टन/प्रतिदिन
20 मई: 8344 मीट्रिक टन/प्रतिदिन
फिर गलती कहां हुई?
प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि इसका मतलब है कि हम तकरीबन सारे अस्पतालों को ऑक्सीजन दिलवाने की स्थिति में थे और सिर्फ प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी थी, जोकि ऑक्सीजन निर्यात कम करने से या पहले से ऑक्सीजन आयात की तैयारी करके आसानी से पूरी की जा सकती थी. फिर गलती कहां हुई?
कौन है इसका जिम्मेदार?
प्रियंका ने जिम्मेदारी तय करने के लिए कुछ पॉइन्ट्स के जरिए अपनी बात रखी. प्रियंका गांधी ने इसमें ऑक्सीजन निर्यात बढ़ाने को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया.
• महामारी वाले वर्ष यानी 2020 में मोदी सरकार ने ऑक्सीजन का निर्यात 700% से अधिक बढ़ा दिया. ज्यादातर सप्लाई बांग्लादेश को गई और सरकार ने समय पर अतिरिक्त ऑक्सीजन आयात करने का कोई प्रयास नहीं किया.
• अपने नाकारेपन को मिसाल बनाते हुए मोदी सरकार ने ऑक्सीजन संकट की स्थिति में ऑक्सीजन उत्पादक केंद्रों से देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंचाने के साधनों का प्रबंध करने का कोई प्रयास ही नहीं किया.
• महामारी आने से पहले उत्पादित ऑक्सीजन का प्राथमिक रूप से औद्योगिक इस्तेमाल होता था, भारत के पास ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले विशेष क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या अनुमानतः 1200-1600 थी. कोरोना की पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मोदी सरकार ने इन टैंकरों की संख्या बढ़ाने या औद्योगिक प्रयोग में आ रही ऑक्सीजन को मेडिकल सुविधाओं में प्रयोग में लाने के लिए आकस्मिक योजना की बारीकियां तैयार करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया.
• पहली लहर के ख़ात्मे तक यह पता चल चुका था कि कोविड के इलाज में मेडिकल ऑक्सीजन जरूरी है. फिर भी केंद्र सरकार को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए 150 प्लांट्स के टेंडर आमंत्रित करने में 8 महीने लग गए और आज भी ज्यादातार प्लांट चालू हालत में नहीं हैं.
• मोदी सरकार के अपने एम्पावर्ड ग्रुप-6 ने एक साल पहले अप्रैल 2020 में निकट भविष्य में होने वाले ऑक्सीजन संकट की चेतावनी दी थी. मोदी सरकार ने इस चेतावनी को पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया.
• स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति ने पिछले साल अक्टूबर में सरकार को ऑक्सीजन की कमी के बारे में चेतावनी देते हुए ऑक्सीजन का रिजर्व रखने व ऑक्सीजन सिलेंडर का मूल्य नियंत्रित करने की बात भी कही थी. हालांकि सरकार की देखरेख में हुआ इसका ठीक उलटा. ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत पिछले साल 4000 रू थी वहीं एक साल में बढ़कर 7000 रू हो गई. पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों के चलते एक ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल कराने की कीमत एक साल में 500 रू से बढ़कर 2000 रू हो गई.
• राज्यों के मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी प्रधानमंत्री को बताते रहे, मगर केंद्र सरकार अपनी गलती न मानकर न्यायालयों में राज्य सरकारों की ऑक्सीजन मांग का कोटा कम कराने को लेकर लड़ने लगी. वास्तव में, मोदी सरकार ने ऑक्सीजन आपूर्ति का मनमानेपन और विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों के साथ बेवजह भेदभाव करके राजनीतिकरण कर डाला.
यह स्पष्ट है कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की असली ज़िम्मेदार मोदी सरकार का नाकारापन और कार्ययोजना का अभाव है.
जनता के सवालों का जवाब देना होगा
प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के सामने कुछ सवाल भी रखे, जिसका जवाब देने की उम्मीद उन्होंने केंद्र से की है.
ऑक्सीजन की आकस्मिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्यों कोई कदम नहीं उठाये गए? एम्पावर्ड ग्रुप-6 की सलाह को पूरी तरह से नजरअंदाज क्यों किया गया? कोरोना की दूसरी लहर का अंदाजा होने के बावजूद ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या बढ़ाने के लिए क्यों कोई प्रयास नहीं किया गया?
कोरोना महामारी ने जिस साल में पूरे विश्व में तबाही मचाई आखिर क्यों उसी साल 2020 में मोदी सरकार ने ऑक्सीजन का निर्यात बढ़ाकर 700% कर दिया?
स्वास्थ्य मामलों की संसद की स्थाई समिति की सलाहों को नजरअंदाज कर क्यों ऑक्सीजन सिलेंडर एवं सिलेंडर रिफिलिंग के दाम पर नियंत्रण नहीं किया गया?


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