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संसद में हंगामा करने वाले सागर के घर पहुंची पुलिस

Shantanu Roy
13 Dec 2023 3:57 PM GMT
संसद में हंगामा करने वाले सागर के घर पहुंची पुलिस
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लखनऊ। बुधवार को संसद की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक सामने आई है। संसद की कार्यवाही के दौरान अचानक से दो युवक सांसदों की बेंच तक पहुंच गए। इसके बाद दोनों युवक नारेबाजी करने लगे। इसी दौरान दोनों युवकों ने जूते के अंदर से कलर गैस निकालकर संसद में छिड़काव कर दिया। इससे पूरी संसद धुंआ-धुंआ हो गई। शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान घटे इस घटनाक्रम के बाद सांसदों में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि दोनों युवकों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों युवकों की जब तलाशी ली गई तो उनमें से एक लखनऊ का रहने वाला निकला। इस युवक के पास से आधार कार्ड मिला है, जिसमें उसका नाम सागर शर्मा दर्ज था। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां संसद से पकड़े गए दोनों युवकों की कुंडली खंगालने में जुट गई। यूपी पुलिस लखनऊ स्थित सागर के घर पहुंची तो यहां का नजारा कुछ और ही मिला।

मोहल्ले में पहुंची पुलिस को देखकर सभी दंग रह गए। पुलिस ने यहां सागर के घर वालों के अलावा आसपड़ोस के लोगों से भी पूछताछ की। पुलिस ने सागर के स्वभाव के बारे में जानकारी ली। सागर की मां ने बताया को बताया कि वह पेशे से ई-रिक्शा चालक है। सागर के पिता कारपेंटर हैं। सागर की मां ने बताया कि दो दिन पहले वह अपने दोस्तों के साथ दिल्ली जाने की बात कहकर घर से निकला था। सागर ने बताया था कि वह किसी प्रदर्शन में शामिल होने जा रहा है। सागर की मां का कहना है कि उन्हें सागर के इस कृत्य के बारे में कतई भी भनक नहीं थी।

संसद में हुई घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियां एक्टिव हो गईं। संसद में पकड़े गए दोनों आरोपितों की तलाश ली गई तो उसमें से सागर के पास से आधार कार्ड मिला। आधार कार्ड में सागर का पता लखनऊ के आलमबाग दर्ज था। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां जांच पड़ताल में जुट गईं। आधार कार्ड में दर्ज पते पर सुरक्षा एजेंसियां सागर के घर पहुंची और सागर के बारे में जरूरी जानकारी जुटाई। सागर का परिवार आलमबाग के रामनगर में किराए के घर में रहता है। सागर के परिवार में कुल चार लोग रहते हैं। सागर के अलावा उसकी एक बहन है। सागर अपने माता-पिता और बहन के साथ लगभग 15 सालों से लखनऊ में ही रह रहा है। परिवार वालों का कहना है कि सागर का किसी से झगड़ा नहीं है, पता नहीं दिल्ली कैसे पहुंच गया। इसके अलावा पुलिस ने सागर के व्यवहार को लेकर पड़ोसियों से भी पूछताछ की।

लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दो लोगों के सदन में कूदने की घटना के कुछ देर बाद ही संसद भवन के बाहर से दो लोगों को हिरासत में लिया गया। दिल्ली के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि संसद भवन के बाहर से हिरासत में लिए गए दो लोगों की पहचान नीलम (42) और अमोल शिंदे (25) के रूप में हुई है। नीलम हरियाणा के हिसार की निवासी है तो शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला है। अधिकारियों ने बताया कि संसद भवन के बाहर धुआं छोड़ने वाला कनेस्टर खोलने के बाद दोनों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ ‘भारत माता की जय’ और ‘जय भीम, जय भारत’ के नारे लगाए।

संसद में कूदने वाले सागर शर्मा का परिवार मूलरूप से उन्नाव के पुरवा कस्बे के पीरजादीगढ़ी मोहल्ले का है। यहां के लोगों का कहना है कि सागर के बाबा श्यामलाल लखनऊ में सिंचाई विभाग में काम करते थे। बाद में पूरा कुनबा वहीं बस गया। सागर श्यामलाल के बड़े बेटे रोशनलाल का बेटा है। रोशनलाल और सागर का पीरजादीगढ़ी से कोई लेना-देना नहीं रह गया। उनके हिस्से का घर खंडहर हो चुका है। उनके कुनबे के पास ढाई बीघा जमीन थी, जो बिक चुकी है। सागर के चचेरे चाचा धर्मेंद्र ने बताया कि सागर का परिवार 20-25 साल से पीरजादीगढ़ी नहीं आया। रिश्तेदारी में शादी-ब्याह में रोशनलाल कभी आए भी तो कुछ देर रुककर वापस लखनऊ लौट जाते हैं। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि सागर के पिता रोशनलाल चार भाई हैं। राजा, बबलू और डबलू भी लखनऊ में ही रहते हैं।

पीरजादीगढ़ी के लोगों का कहना है कि सागर के पिता रोशनलाल पहले दिल्ली में रहते थे। वहां बढ़ईगीरी का काम था। कई साल तक उन्होंने वहां काम किया। उस दौरान सागर भी उनके साथ दिल्ली में रहा। संभव है कि उस दौर के उसके संपर्क दिल्ली में अब भी हों। पीरजादीगढ़ी तक जो सूचनाएं छन-छनकर आती रही हैं, उनके मुताबिक सागर अनुशासनहीन रहा है। घर से गायब रहना, अराजक लोगों की संगत की वजह से परिजन भी उससे परेशान रहते थे। मोहल्ले के लोगों के मुताबिक सागर के एक चाचा का नाम पांच-छह साल पहले गोमतीनगर में हुई हत्या में आया था। इसके बारे में मोहल्ले के लोगों को तब पता चला जब लखनऊ पुलिस किसी अमित कुमार का घर तलाशते हुए पीरजादीगढ़ी पहुंची थी। अमित नाम से कोई नहीं पहचान सका। पिता का नाम श्यामलाल और जाति बढ़ई बताने पर लोगों ने पहचाना। पुलिस को बताया गया कि यह परिवार बरसों पहले घर छोड़ चुका है। अब यहां उन लोगों का आना-जाना नहीं है।

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