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शिमला। राजधानी में लोकल बसों पर सबसे ज्यादा शहरवासी सफर करते हैं। शहरवासियों की सुविधा के लिए निजी और एचआरटीसी की बसें हर पांच मिनट बाद चलाई जाती है। बावजूद इसके भी बसों में भारी ओवर लाडिंग हो रही है। हालत इनती खराब होती है कि बसों के अंदर खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है। हैरत की बात यह है कि प्रशासन ने जहां ओवर लोडिंग को लेकर सख्ती से कार्रवाई करने क दावा किया था लेकिन इन दिनों प्रशासन भी अपना यह दावा भूल गया है। शहर में ओवर लोडिंग बसों से पहले भी कई हादसे हो चुकें हैं, जिसमें स्कूली विद्यार्थियों ने भी अपनी जान गंवाई है। उसके बाद प्रशासन ने कुछ समय तक इतनी सख्ती बरती थी कि निजी बस चालक भी ओवर लोडिंग करने से डरते थे, लेकिन अब तो उन हादसों को काफी समय बित गया है। ऐसे में शहरवासियों सहित प्रशासन भी इस व्यवस्था को नजरअंदाज ही कर रहा है। सरकारी हो या फिर प्राइवेट बसें लोग अपने दफ्तरों, बच्चे अपने स्कूल के लिए रोजाना इन्ही परिवहन सेवाओं के माध्यम से अपने गणतव्य की ओर आते-जाते हैं। बसों में लोग ऐसे भरे हुए होतो हैं जैसे बोरियों में आलू, जिनके अंदर कदम रखने तक की जगह नहीं होती है। इस कारण लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में महिलाओं से छेडख़ानी और आपसी बहस बाजी भी बसों में देखी जा सकती है। बसों में ओवरलोडिंग की वजह से दुर्घटनाओं की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। वहीं प्राइवेट बस ऑप्रेेटरअशोक कुमार का इस संबंध में कहना है कि बसों में बढ़ती भीड़ इस वजह से भी है, क्योंकि शिमला शहर की प्राइवेट बसों और एचआरटीसी बसों के बीच कोई समय सारणी निर्धारित नहीं है। जिसकी वजह से दोनों ऑप्रेटरों में कलैश हो रहा है और बसें एक ही समय पर पहुंच रही है। इससे जाम की भी स्थितियां भी बन रहीं है। साथ ही शिमला शहर में बस सेवा ही एक लौता माध्यम है, जिससे लोग रोजाना का सफर तय करते हैं। वहीं एचआरटीसी के शिमला बस अड्डा इंचार्ज कुलदीप कुमार ने जाम का हवाला देते हुए कहा कि सुबह-शाम के समय शिमला शहर के खलीनी, संजौली, चक्कर, टुट्टू और समरहिल जैसे कई अन्य इलाके हैं, जहां इस समय रोजाना जाम लगता है। इसके चलते बसों के रूट देरी से पंहुचते हैं। जिसकी वजह से बसों में भीड़ भी हो जाती है।
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