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Pandit Bhaskaranand ने कथा में कराया प्रवचनों का रसपान

Shantanu Roy
20 July 2024 12:18 PM GMT
Pandit Bhaskaranand ने कथा में कराया प्रवचनों का रसपान
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Bilaspur. बिलासपुर। शहर के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन प्रवचन करते हुए कथावाचक पंडित भास्करानंद शर्मा ने कहा कि जब किसी के मस्तिष्क में विकृति आ जाती है विवेक बुद्धि काम करना बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि देव दानव युद्ध में जब राक्षस महाराजा दशरथ पर भारी पड़ रहे थे तो उनके रथ का एक पहिया टूट गया। लेकिन उनके साथ कैकेयी ने रथ के पहिए में अपनी भुजा से सहारा दिया और दशरथ को वहां से बचाने में कामयाब रही। अपनी पत्नी कैकेयी के इस साहस से प्रसन्न होकर राजा दशरथ ने उन्हें दो वचन का आश्वासन दिया। कैकेयी के पास राजा दशरथ के यह दो वचन धरोहर स्वरूप थे। वहीं जब भगवान राम का विवाह माता सीता से होता है और वे वापस
अयोध्या लौट आते हैं।


अयोध्या के लिए नए संभावित राजा राम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी कि मंथरा रानी कैकेयी को बहकाती है कि यदि यह सब हो जाता है तो उसका पुत्र भरत राम का दास बनकर रह जाएगा। इसी दौरान मंथरा कैकेयी को महाराजा दशरथ द्वारा दिए गए दो वचनों का स्मरण करवाया। कैकेयी मंथरा की बातों में आ गई। और उसने राजा दशरथ से एक वचन में भरत को अयोध्या का राजपाठ और दूसरे वचन में राम को 14 वर्ष का वनवास मांग लिया। यह सुन राजा दशरथ बेसुध हो जाते हैं। पंडित जी ने बताया कि जब यह बात प्रभु राम को पता चलती है तो वे पिता श्री का आदेश स्वीकार कर वन गमन का निर्णय लेते हैं। इस दौरान माता सीता और भैया लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने की जिद करते हैं तथा तीनों वन की ओर प्रस्थान करते हैं। जब अयोध्या की प्रजा को इस बारे में पता चला तो वे सडक़ों और मार्गों में आकर बैठ गए ताकि उनके राजा को रोका जा सके।
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