![फोरलेन के प्रभावितों को मुहैया करवाए जाएं मूल दस्तावेज फोरलेन के प्रभावितों को मुहैया करवाए जाएं मूल दस्तावेज](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/04/03/3643264-untitled-4-copy.webp)
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चांदपुर। मटौर-शिमला फोरलेन सडक़ प्रभावित एवं विस्थापित संघर्ष समिति ने शिमला-मटौर निर्माणाधीन फोरलेन में करीब 250 विस्थापितों एवं प्रभावितों ने उपरोक्त परियोजना से संबंधित मूल दस्तावेजों की मांग की है। जिस पर भू अर्जन कार्यालय बिलासपुर द्वारा उपलब्ध न करवाने पर लोगों ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपीलें दायर की है, जिसकी सुनवाई 28 मार्च को तय की गई थी, लेकिन निर्धारित की गई समय अवधि पर सुनवाई न होने पर इस सुनवाई को 11 अप्रैल को तय कर दिया। जिससे विस्थापित एवं प्रभावितों में रोष है। समिति के प्रधान बाबू राम सिसोदिया, उपप्रधान कमलेश चंद नड्डा व सचिव कुलवीर भड़ोल सहित अन्य ने भू अर्जन अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भू अधिग्रहण अधिकारी व राजस्वकर्मी विस्थापितों एवं प्रभावितों के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है व तरह-तरह के तर्क देकर मूल दस्तावेजों को उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं।
विस्थापितों ने मांग की है कि मकान व भूमि का कब्जा लेने से पहले हमें अधिग्रहित की गई भूमि का असल भूमि अधिग्रहण प्लान, राईट ऑफ वे, ले आऊट प्लान, सडक़ के दोनों ओर स्थापित बुर्जियों व उन पर अंकित आरडी नंबर की सूचियां मौके का नक्शा में फिल्डबुक भूमि व मकानों के अवार्डों के नकलों को नियमानुसार उपलब्ध करवाए। वहीं उजड़ रहे सभी लोगों का बसाव, शेष बची निजी भूमि की निशानदेही भूमिहीन लोगों को भूमि आबंटन कर उनके रोजगारों को बहाल करने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाए, जैसा कि एक्ट में प्रावधान है। लोगों ने सवाल उठाए कि बिना निशानदेही के दो महीने के भीतर कैसे कोई अपना मकान बना सकता व रोजगार चला सकता है। जबकि समक्ष अधिकारी मूल दस्तावेजों को भी उपलब्ध नहीं करवा रही है। लोगों ने आरोप लगते हुए कहा कि एक तो कौडिय़ों के भाव भूमि मकानों का अधिग्रहण कर लिया, लेकिन अब मूल दस्तावेजों को भी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं। विस्थापितों ने कहा कि हम राईट ऑफ वे में यह देखना चाहते हैं कि एनएचएआई के आरओडब्ल्यू में मकान मालिकों को कौन सा स्ट्रक्चर कितना प्रभावित हो रहा है व मकान मालिकों का स्ट्रक्चर प्रभावित हो भी रहा है या नहीं।
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