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महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

Shantanu Roy
29 Oct 2024 11:48 AM GMT
महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन
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Ghumarwin. घुमारवीं। अखिल भारतीय साहित्य परिषद बिलासपुर इकाई द्वारा महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन घुमारवीं के पेलियो म्यूजियम के सभागार में किया गया। सर्वप्रथम मां शारदा व महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। तदोपरांत कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। कार्यक्रम में जिला के सुप्रसिद्ध संस्कृत विद प्रो. लेखराम शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता इकाई के अध्यक्ष डा. अनेक राम सांख्यान ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में बीएल लखनपाल उपस्थित रहे। प्रथम सत्र में महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के चरित्र पर चर्चा-परिचर्चा की गई, जिसमें मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज को जो शिक्षाएं दी वे
अतुल्यनीय है।


आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के आर्य शब्द को उन्होंने हमारे कहलूरी शब्द अडय़ा को सह स्थापित किया। महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे डा. अनेक राम सांख्यान ने कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने जो नारा समाज को दिया कि वेदों की ओर लौटो और सनातन धर्म का आचरण करने की सीख दी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बीएल लखनपाल ने महर्षि स्वामी दयानंद के जीवन पर पर पत्र वाचन किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र् की अध्यक्षता कैप्टन डा. जय चंद महलवाल ने की व मंच संचालन युवा कवयित्री प्रीति मधु द्वारा बड़े प्रभावशाली अंदाज में किया गया। बहुभाषीय काव्य गोष्ठी में सर्वप्रथम डा.अनेक राम सांख्यान की कविता की पंक्तियां अब तेरे बिन हम चल नहीं सकते क्योंकि तुम ही हो अब मेरी पथगामिनी, बीएल लखनपाल ने पहाड़ी गीत दो नारा बे लोको लश्क दिया तलवारा दो नारा, कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रोताओं ने साहित्यकारों की रचनाओं की खूब प्रशंसा की। अंत में परिषद की सदस्य रचना चंदेल ने उपस्थित सभी साहित्यकारों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
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