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BBMB एरियर के लिए दिल्ली गए अफसर

Shantanu Roy
9 Sep 2024 9:56 AM GMT
BBMB एरियर के लिए दिल्ली गए अफसर
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Shimla. शिमला। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से हिमाचल को मिलने वाले 4500 करोड़ से ज्यादा के एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11 सितंबर को सुनवाई तय हुई है। इसके लिए हिमाचल सरकार ने अपने अधिकारियों को दिल्ली दौड़ा दिया है। केस की सुनवाई से पहले भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल से लेकर एडवोकेट से चर्चा की जाएगी। पिछले महीने भी हिमाचल सरकार के अधिकारी अटॉर्नी जनरल से बैठक करके आए थे, जिसमें पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी थे। बीबीएमबी एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल के पक्ष में डिक्री यानी हुकमनामा जारी कर रखा है, लेकिन इसे 13 साल से इम्प्लीमेंट नहीं किया जा सका है। 2011 के बाद हिमाचल को बढ़ी हुई हिस्सेदारी पर बिजली मिलना शुरू हो गई है, लेकिन 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर बिजली परियोजना और 1978 से पोंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर अभी भी बकाया है। पंजाब और हरियाणा इस एरियर का भुगतान नकद करने को तैयार नहीं है, लेकिन एरियर की
बिजली चुकाने को तैयार हैं।

इस तरह से कुल 1300 करोड़ यूनिट बिजली हिमाचल को मिलेगी। इस बिजली का भुगतान अगले 15 साल में करने पर भी हिमाचल सहमत है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर पड़ोसी राज्य रोड़ा अटका रहे हैं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को राज्यों के बीच मसला सुलझाने को कहा था। हिमाचल सरकार के लिए वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीबीएमबी का एरियर एक बड़ी मदद साबित हो सकता है। अगले 15 साल में भी बिजली के तौर पर यदि भुगतान होता है, तो भी सरकार को अतिरिक्त 500 से 700 करोड़ हर साल मिलना शुरू हो जाएंगे। इसलिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा है। पूर्व सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी है। बीबीएमबी एरियर को लेकर जिन दो बिंदुओं पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से गतिरोध है, उनमें एक बिंदु पुराने बिजली प्रोजेक्ट की निर्माण लागत शेयर करने का है, जबकि दूसरा दी जाने वाली एरियर की बिजली की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस कॉस्ट का है। हिमाचल सरकार प्रोजेक्ट की निर्माण लागत में हिस्सेदारी देने को तैयार है, जबकि बिजली की ऑपरेशन एंड मेंटेनेस कॉस्ट को लेकर अभी चर्चा फाइनल नहीं हुई है। यह लागत प्रति यूनिट 10 पैसे से 67 पैसे तक जा सकती है। दोनों ही भुगतान करने के बावजूद हिमाचल के लिए यह फायदे का सौदा है।
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