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शिमला। एनजीटी के आदेश के बाद वन विभाग को कुफरी में घोड़ों की संख्या कम करने के लिए बनाई योजना में बदलाव कर रहा है। एनजीटी ने वन विभाग को 23 जुलाई तक दोबारा योजना बनाने के लिए कहा है। घोड़ा मालिकों ने एनजीटी में याचिका की थी कि घोड़ों की संख्या कम करने से सैकड़ों लोगों का रोजगार खत्म हो जाएगा। कुफरी से महासू तक 850 लोग घोड़े चलाते हैं। एनजीटी ने पूर्व में घोड़ों की संख्या 217 तक करने के निर्देश दे रखे हैं। इन निर्देशों के खिलाफ आठ घोड़ा मालिकों के समूह ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। अब एनजीटी ने निर्देश दिए हैं कि पहले घोड़ा मालिकों के लिए रोजगार का बंदोबस्त करें, इसलिए विभाग नए सिरे से घोड़ों का पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करेगा। घोड़ा मालिकों की यूनियन के अध्यक्ष दिनेश ने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए वह शुल्क चुकाने को तैयार हैं।
एनजीटी ने कुफरी में घोड़ों के कारण हो रहे प्रदूषण को कम करने के लिए घोड़ों की संख्या कम करने को कहा है। कुफरी में घोड़ों के कारण बहुत से लोगों का घर चलता है। उधर, मनीष रामपाल, डीएफओ, ठियोग का कहना है कि एनजीटी की 14 अप्रैल को हुई सुनवाई के बाद पहले बनाई योजना में फेरबदल कर घोड़ों की संख्या कम की जाएगी। स्थानीय निवासियों का रोजगार बरकरार रखना भी वन विभाग की प्राथमिकता है। जिला प्रशासन के साथ मिलकर इसमें कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। कुफरी में सैलानियों को सैर करवाने के लिए लोगों ने घोड़े पाल रखे हैं, लेकिन एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी कि घोड़ों के मल से निकलने वाली नाइट्रोजन, फासफोरस और कार्बन जलमार्ग तक पहुंच सकते हैं। इससे काफी समय से कुफरी में भूजल प्रणाली प्रभावित हो रही है। इसके अलावा पशुओं पर निर्दयता कम करने के लिए भी एनजीटी ने घोड़ों की संख्या कम करने के लिए कहा है। घोड़ों का दोबारा पंजीकरण करने से बाहरी इलाके से आकर कुफरी में घोड़े चला रहे लोगों का भी पता चलेगा।
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