
रिवालसर। उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में जिंदगी की जंग जीत कर लौटे विशाल प्रदेश सरकार से नाराज है। जहां टनल में फंसे मजदूरों के लिए देशभर के लोगों से उनके जीवित रहने की दुआएं मांगी, वहीं प्रदेश सरकार के किसी भी मंत्री ने फोन कर उनका हाल-चाल नहीं जाना। विशाल ने बताया कि टनल में बिताए 17 दिन बड़ी कठिन घड़ी थी। टनल के अंदर समय गुजरना मुशिकल हो रहा था, लेकिन देशवासियों की दुआएं व रेस्क्यू टीमों की कड़ी मेहनत रंग लाई जिनकी बदौलत हम सभी सकुशल बाहर निकल पाए। विशाल ने बताया कि वह स्थानीय स्तर पर नौकरी की तलाश करेगा अगर नहीं मिली तो फिर से खतरों के बीच काम करना मजबूरी होगी। विशाल की दादी ने साफ कहा है कि वह पोते को इस कार्य के लिए नहीं भेजेंगी। वहीं, माता पिता भी विशाल को दोबारा इस कार्य के लिए बाहर भेजने को तैयार नहीं दिखे। विशाल की दादी ने कहा कि 17 दिन टनल में फंसे रहना और जीवित बाहर निकलना परमात्मा की मेहर है। सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन बाद जिंदगी की जंग जीतकर मंडी जिला के बल्ह क्षेत्र के डहणू गांव का 20 वर्षीय विशाल शुक्रवार को अपने पिता के साथ सकुशल घर पहुंचा।
विशाल के घर पंहुचने पर परिजनों के साथ बड़ी संख्या में रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने बैंडबाजे व फूलमालाओं के साथ विशाल का भव्य स्वागत किया। मां उर्मिला ने अपने लाल की आरती उतारी और उसे गले लगाया। अपने लाडले को गले लगाने के दौरान मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। । वहीं, दादी व चाची ने फूल माला पहनाकर अपने लाडले को अपनी पलकों में बिठाया। इस मौके पर बल्ह के विधायक इंद्र सिंह गांधी व क्षेत्र के कई गणमान्य लोगों ने परिजनों की खुशी में शामिल होते हुए विशाल के हौसले की दाद दी। बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने विशाल के घर डहनु (बगोंट) पहुंच कर खूब जश्न मनाया तथा भगवान का शुक्र मनाते हुए सकुशल लौटने की बधाई दी। विशाल के पिता धर्म सिंह ने बताया अस्पताल प्रशासन द्वारा जांच के बाद विशाल को गुरुवार को छुट्टी दे दी गई थी। उन्होंने सभी 41 श्रमिकों के रेस्क्यू के लिए उत्तराखंड व केंद्र सरकार का धन्यवाद किया।
