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इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं!, भारी बर्फबारी के बीच मुस्लिम पड़ोसी ने कश्मीरी पंडित का शव अपने कंधे पर उठाकर लाए, फिर

HARRY
24 Jan 2021 2:45 AM GMT
इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं!, भारी बर्फबारी के बीच मुस्लिम पड़ोसी ने कश्मीरी पंडित का शव अपने कंधे पर उठाकर लाए, फिर
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फाइल फोटो 

इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं

श्रीनगर. कहते हैं मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं और इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं होता. जम्मू-कश्मीर की एक घटना ने इस बात को एक एक बार फिर साबित किया है. दरअसल जम्मू-कश्मीर में ​इन दिनों भारी बर्फबारी हो रही है. बर्फबारी के बीच मुस्लिम पड़ोसी एक कश्मीरी पंडित का शव अपने कंधे पर उठाकर लाए और उसके अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए.

दरअसल शोपियां में भारी बर्फबारी हो रही है. इस बीच शोपियां में रहने वाले एक कश्मीरी पंडित परिवार के बुजुर्ग की अस्पताल में मौत हो गई. बुजुर्ग का शव लेकर एंबुलेंसी जब गांव आ रही थी तभी वह बर्फ में फंस गई. उस वक्त किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. ऐसे गमगीन वक्त में कश्मीरी पंडित के पड़ोसी मुस्लिम भाई अपने कंधे पर कश्मीरी पंडित का शव उठाकर ले आए.
बता दें ​कि 60 साल के कश्मीर पंडित भास्कर नाथ को कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. अस्पताल में इलाज के दौरान बुजुर्ग की मौत हो गई. भास्कर पंडित के शव एंबुलेंस से गांव लाया जा रहा था. लेकिन बर्फबारी के चलते गाड़ी गांव से पांच किलोमीटर पहले रास्ते में ही फंस गई. इस बात की जानकारी जैसे ही मुस्लिम पड़ोसियों को लगी, वे घर से निकले और पैदल ही एंबुलेंस की तरफ चल पड़े. पांच किलोमीटर दूर से उन्होंने शव को अपने कंधे पर रखा और पैदल ही गांव में ले आए. इतना ही नहीं, मुस्लिम समुदाए के लोग भास्कर नाथ के अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए.
स्थानीय लोगों का कहना है कि शोपियं में अब कुछ ही कश्मीरी पंडित परिवार रह गए हैं. यहां पर हर कोई एक परिवार की तरह रह रहा है. भास्कर पंडित की मौत से पूरे गांव में दुख का माहौल है. हम सब एक ही परिवार का हिस्सा हैं और एक दूसरे के सुख और दुख में शामिल होते हैं.
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