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Shimla. शिमला। वल्र्ड बैंक के प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल बिजली बोर्ड को बिजली बेचने की अलग इकाई स्थापित करने के लिए पैसा मिला है जिससे यहां पर एनर्जी सेंटर का गठन कर दिया गया है। इसमें कर्मचारियों की नियुक्ति तीन अलग-अलग विंगों से की गई हैं। इसमें बिजली बोर्ड लिमिटेड के कर्मचारी भी रखे गए हैं तो वहीं ऊर्जा निदेशालय और पावर कारपोरेशन से भी कर्मचारी रखे हैं। इनके भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को लेकर फिलहाल विवाद है जिस पर बिजली बोर्ड कर्मचारियों का कहना है कि उसी की तर्ज पर यहां भी भर्ती एवं पदोन्नति नियम हों। क्योंकि यह भी बिजली बोर्ड की ही एक इकाई है हालांकि इसे फंडिंग वल्र्ड बैंक ने की है और बाद में प्रदेश सरकार को ही इसे चलाना होगा लेकिन यहां पर कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहें, उनके हितों का पूरा ध्यान रखा जाए इसलिए जरूरी है।
यहां पर व्यवस्थाएं बिजली बोर्ड जैसी ही हों। राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारियों ने सरकार के साथ कई मामलों को लेकर समझौता कर रखा है जिसे आगे पावर कारपोरेशन और ऊर्जा निदेशालय में भी लागू किया जा रहा है, क्योंकि वहां पर भी बिजली बोर्ड के ही अभियंता व कर्मचारी लगे हैं। इनके अलावा एक विंग ट्रांसमिशन कारपोरेशन का है जो भी बिजली बोर्ड से ही टूटकर बनाया गया है। अब नया एनर्जी सेंटर बिजली बोर्ड में ही उसके एक विंग को तोडक़र बनाया गया है जो कि सरकार की बिजली को बेचने का काम कर रहा है। इसने अपना काम शुरू कर दिया है। इससे पहले यह काम स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर और फिर एरिया लोड डिस्पैच सेंटर के पास था मगर इससे अलग अब एनर्जी सेंटर के पास यह काम है। सरकार ने तय किया था कि प्रदेश में उत्पादित बिजली जो कि सरकार के हिस्से की भी है उसकी खरीद फरोख्त का पूरा काम एक नया डेस्क संभालेगा। क्योंकि वल्र्ड बैंक के प्रोजेक्ट में यहां धनराशि मिल रही है तो उसका भी फायदा नए विंग को खड़ा करने में मिला वहीं वल्र्ड बैंक खुद यह चाहता है कि सरकार अपनी बिजली की खरीद फरोख्त के लिए अलग विंग स्थापित करे।
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