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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को, ग्रामीणों के मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार के प्रचार और संरक्षण को सुनिश्चित करने का दिया निर्देश

Renuka Sahu
11 July 2021 4:23 AM GMT
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को, ग्रामीणों के मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार के प्रचार और संरक्षण को सुनिश्चित करने का दिया निर्देश
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फाइल फोटो 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को ग्रामीणों के मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार के प्रचार और संरक्षण को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. एनएचआरसी ने सचिव, योजना और निवेश को राज्य के गांवों में बुनियादी सुविधाओं और सड़क संपर्क के संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को ग्रामीणों के मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार के प्रचार और संरक्षण को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. एनएचआरसी ने सचिव, योजना और निवेश को राज्य के गांवों में बुनियादी सुविधाओं और सड़क संपर्क के संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया. पूर्वी कामेंग जिले में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए ये आदेश जारी किया गया.

सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी द्वारा NHRC के सामने दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए, NHRC ने आदेश पारित किए. मानसिक स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा करते हुए त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि पूर्वी कामेंग जिले के मुख्यालय सेप्पा नामक स्थान पर आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. राज्य पर्याप्त संख्या में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र स्थापित करने और लोगों के लिए एक सपोर्टिव एनवायरमेंट बनाने में बुरी तरह विफल रहा है.
'हाजोंग शरणार्थी सभी अधिकार लेने के हकदार'
चकमा और हाजोंग के मानवाधिकारों के मामले में त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि उन्हें कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है, क्योंकि उनकी नागरिकता की स्थिति की पुष्टि नहीं हुई है. अरुणाचल प्रदेश राज्य ने 19 मार्च, 2013 के गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने एसएलपी (SLP) दायर की. गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चकमा और हाजोंग अरुणाचल प्रदेश में बस गए थे. इसपर त्रिपाठी ने कहा कि हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान की गई है, वे उन सभी अधिकारों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने के हकदार हैं, जो इस देश के नागरिक बनने पर मिलते हैं.
रोजगार के मामले को लेकर भी उठाए सवाल
2017 में दायर एक जनहित याचिका में गुवाहाटी हाई कोर्ट में ग्राम पंचायतों के गठन का मामला भी विचाराधीन है. रोजगार के मामले में चकमा और हाजोंग देश के नागरिक बनने पर ही पात्र होंगे. सरकार के मौजूदा सेवा भर्ती नियमों के अनुसार, विदेशी नागरिक राज्य सरकार के पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं, राज्य द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है.
राज्य की रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने चकमा और हाजोंग की नागरिकता से संबंधित मुद्दे के समाधान के लिए संयुक्त सचिव (EN) की अध्यक्षता में एक संयुक्त उच्च शक्ति समिति का गठन किया है. त्रिपाठी ने कहा कि कई गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में और अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लोगों को दूरदराज के इलाकों से 2-3 दिन चलना पड़ता है.
'ग्रामीणों को संघर्ष करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता'
वहीं, एनएचआरसी (NHRC) ने कहा कि बुनियादी ढांचे का विकास समय के साथ ही होगा, लेकिन तब तक ग्रामीणों को अपने दैनिक जीवन में संघर्ष करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है. एनएचआरसी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित गांवों के विकास के लिए उक्त मामले में तेजी लाएं.


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