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SS जैन स्थानक नादौन में मुनि महाराज ने की अमृत वचनों की बरसात

Shantanu Roy
27 July 2024 11:21 AM GMT
SS जैन स्थानक नादौन में मुनि महाराज ने की अमृत वचनों की बरसात
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Nadaun. नादौन। एसएस जैन स्थानक नादौन से मधुरवक्ता रचित मुनि जी महाराज के सानिध्य में विराजित तेजस मुनि महाराज ने संबोधन देते हुए कहा कि शब्दों की सीमा है, समय की सीमा है, आयु की सीमा है, एक व्यक्ति 100 वर्ष तक जीता है। वह अनंत गुणों का वर्णन करना शुरू करता है। एक दिन में मान लो 10-20 हजार भावों का वर्णन कर दिया, तो 100 वर्ष में कहां तक पहुंच पाएगा। अनंत का तो प्रश्न ही नहीं है असंख्यात तक भी नहीं पहुंच सकता, क्योंकि सत्य अनंत है और उसे खोजने का अनंत अवकाश है। इसलिए भगवान ने कहा कि स्वयं सत्य खोजो। अगर आप सोचें कि सच तो हमारे पूर्वजों ने खोज लिया, जो केवल ज्ञानी थे उन्होंने खोज लिया, अब हमें क्या खोजना है। उन्होंने जो खोजा है
उसमें भी बहुत बचा हुआ है।

खोज लिया होगा पर कहा होगा। वे कह भी नहीं सकते थे। इस तथ्य से आचार्य को एक सहारा मिल गया। आचार्य सिद्धसेन ने इस दार्शनिक सच्चाई को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। प्रभु मुझे एक आश्वासन मिल गया। अब मैं आपके गुणों का वर्णन नहीं कर सकूंगा, तो कोई चिंता की बात नहीं है। मैं देखता हूं कि एक सर्वज्ञ भी आपके सारे गुणों का वर्णन नहीं कर सकता, फिर मैं न कर सकूं तो यह कौन सी नई बात है। मुझे हीन भावना में जाने की जरूरत नहीं है। आचार्य इसी बात को एक उपमा के द्वारा स्पष्ट कर रहे हैं कि मैं दुनिया को देखता हूं, पृथ्वी को देखता हूं, समुद्र को भी देखता हूं। समुद्र का नाम है रत्नराशि। वहां रत्न का भंडार भरा है। हमें रत्न दिखाई नहीं देते। समुद्र के रत्न को वही पा सकता है, जो डुबकी लगाना जानता है, जो गोताखोर है, डुबकी लगाना जानते हैं वे समुद्र में से रत्न निकाल लेते हैं।रचित मुनि महाराज ने कहा कि किसी को नमन करने का अर्थ है अहंकार से मुक्ति पाना। जहां अहंकार होगा वहां नमस्कार नहीं होगा और जहां नमस्कार होगा वहां अहंकार नहीं रह सकता।
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