खत्म होंगे डेंगू-जीका-मलेरिया फैलाने वाले मच्छर, आईसीएमआर ने खोजी स्वदेशी तकनीक
दिल्ली: डेंगू, मलेरिया, जीका और जापानी एन्सेफलाइटिस जैसी मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आईसीएमआर) ने नई स्वदेशी तकनीक को खोजा है। इसकी मदद से हर साल लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेने वालीं मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी। आईसीएमआर के मुताबिक, इस खोज से मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती मिलेगी।
निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगा: तकनीक को देश की बड़ी आबादी में उपलब्ध कराने के लिए उसने निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि डेंगू, मलेरिया, जीका, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को रोकने के लिए बैसिलस थुरिंगिएंसिस इजराइलेंसिस का उत्पादन करने के लिए एक तकनीक विकसित की गई है, जो बैक्टीरिया का एक प्रकार है। ये अन्य जानवरों को नुकसान पहुंचाए बिना मच्छर और ब्लैक फ्लाई लार्वा को मारता है। आईसीएमआर का कहना है कि यह तकनीक अन्य जानवरों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। आईसीएमआर के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. अश्विनी कुमार की निगरानी में यह खोज पूरी हुई है। इस तकनीक को केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (सीआईबी) ने 'इंडियन स्टैंडर्ड स्ट्रेन' के रूप में नामित किया है।
17% से ज्यादा मामले मच्छर जनित बीमारियों से जुड़े हैं सभी संक्रामक बीमारियों में: सात लाख लोगों की हर साल जाती है जान : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल मच्छर जनित बीमारियों की वजह से करीब सात लाख से अधिक मौतें दुनियाभर में होती हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या भारत में है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर साल मच्छर जनित बीमारियों की वजह से पांच हजार से अधिक लोगों की मौत हो रही है, जबकि लाखों लोग इनकी चपेट में आकर बीमार होते हैं।
टीके की तरह देनी होगी रॉयल्टी: आईसीएमआर ने प्रस्ताव में कहा है कि जिन कंपनियों के साथ तकनीक को हस्तांतरित किया जाएगा उन्हें बिक्री का पांच फीसदी आईसीएमआर के साथ साझा करना होगा। इसी तरह का समझौता आईसीएमआर ने हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के साथ किया था जब कोवाक्सिन की खोज करने के बाद उन्होंने तकनीक को हस्तांतरित किया था।