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राजस्थान में भी चौंकाएंगे मोदी

Shantanu Roy
11 Dec 2023 5:19 PM GMT
राजस्थान में भी चौंकाएंगे मोदी
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जनता से रिश्ता वेबडेसक। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में नए और चर्चा से बाहर रहे चेहरों को मुख्यमंत्री नियुक्त कर मोदी-शाह की जोड़ी ने न सिर्फ इन प्रदेशों में सीएम की रेस में शामिल नेताओं को चौंकाया अपितु यह पूरे देश के सामने यह मिसाल भी पेश किया है कि देश और जनता के हित के लिए वह बड़े से बड़े फैसले ले सकते हैं। भले ही इसके लिए किसी सीटिंग सीएम को भी पद हटाना पड़े। छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय और मध्यप्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाना यही दिखाता है।

साय की नियुक्ति जहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय को प्रतिनिधित्व देकर दूसरे राज्यों में इस वर्ग को साधने की कवायद कहा जा सकता है तो वही ओबीसी बाहुल्य मध्यप्रदेश में मोहन यादव की नियुक्ति ओबीसी वर्ग को साधने के साथ यूपी-बिहार के यादवों को भी एक मैसेज देने की ओर संकेत करता है। इन दोनों राज्यों में जिस तरह से आरएसएस पृष्ठभूमि और पार्टी के लिए समर्पित रहे दो सामान्य कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया है, राजस्थान में भी यही होने वाला है। इससे साफ है कि वहां इस बार मुख्यमंत्री राजघराने से नहीं होगा।

जो रेस में बताए जा रहे हैं संभवत मोदी-शाह की सूची में वे नाम भी न हो और एक ऐसा चेहरा सामने आए जिसकी कल्पना पार्टी, संगठन के लोग व मीडिया वाले भी न कर पार रहे हों। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री के साथ ओबीसी और सामान्य वर्ग से दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं वैसे ही मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री और ओबीसी ही से व सामान्य वर्ग से दो डिप्टी सीएम बनाकर जातिय संतुलन बनाया गया है।

ठीक वैसे ही राजस्थान में किसी सामान्य वर्ग के महिला को सीएम बनाया जा सकता है। लेकिन वसुंधरा और दीयाकुमारी के रूप में राजघराने से नहीं होंगी अपितु किसी अन्य चेहरे को सामने लाया जाएगा। इसके अलावा ओबीसी व जाट समुदाय से दो डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। राजस्थान में गजेन्द्र शेखावत, अश्विनी वैष्णव, बाबा बालकनाथ, सहित वसुंधरा राजे, दीयाकुमारी सहित कई दावेदारों के नाम सीएम की रेस में है। लेकिन वहां भी कोई चौंकाने वाला नाम ही सामने आएगा ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।

ऐसा हुआ तो महिला सीएम के तौर पर दीप्ति किरण माहेश्वरी भी एक चेहरा हो सकती हैं। दीप्ति राजसमंद से विधायक निर्वाचित हुई हैं। वह पूर्वाधिकारी है और 14 वीं लोकसभा में उदयपुर से सांसद थी, 15 वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में उन्हें सचिन पायलट से पराजय मिली थी। कोरना काल में उनकी माता के किरण माहेश्वरी के निधन से खाली सीट पर हुए चुनाव में राजसमंद से विधायक चूना गया था।

जहां से वह दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुई है। उनकी माता किरण माहेश्वरी 2008, 2013 और 2018 में विधायक निर्वाचित हुई थी। वह पढ़ी लिखी और स्वच्छ छवि की नेत्री है। मोदी-शाह जिस तरह के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप रहे हैं उनमें यह चेहरा भी शामिल हो तो आश्चर्य नहीं होगा। इसी तरह लाडपुरा से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुई कल्पना देवी भी सीएम बनाई जा सकती है. वह भी सीधी सरल, पढ़ी लिखी व जमीन से जुड़ी एक सामान्य कार्यकर्ता है जिसपर मोदी-शाह भरोसा जता सकते हैं।

बीजेपी 2024 की रणनीति पर कर रही है काम

बीजेपी ने 2024 की रणनीति में आदिवासी समुदाय को शामिल किया है. वह लगातार देश के आदिवासी समुदाय को संदेश दे रही है कि बीजेपी आदिवासियों के हित का काम करती है. चाहे द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनना हो या भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस मनाने की घोषणा करना हो. अब बीजेपी ने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर अपनी इस रणनीति को और पुख्ता कर दिया है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी झारखंड, त्रिपुरा, ओडिशा समेत देश के आदिवासी वोटरों को लुभाने का काम करेगी।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री देने के बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश में पिछड़ा दांव चला है और मोहन यादवा को सीएम का दायित्व सौंपा है सीधा संकेत है कि मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को साधने के साथ यूपी-बिहार सहित दूसरे राज्यों के यादवों के साथ ओबीसी वर्ग को साधने का जुगाड़ है साथ ही विपक्ष के ओबीसी जनगणना वाले जातिवादी मुद्दे का काट भी हैष इन फैसलों से साफ हे कि राजस्थान में मुख्यमंत्री सामान्य वर्ग से कोई महिला हो सकती हैं। लेकिन दो राज्यों में जिस तरह से चौकाने वाले नाम सामने आए हैं संभावना जताई जा रही है वहां भी सीएम का चेहरा रेस में शामिल दावेदारों से कोई अलग ही होगा।

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