भारत

शादीशुदा पुलिसकर्मी को लिव-इन में रहना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

jantaserishta.com
14 July 2024 7:06 AM GMT
शादीशुदा पुलिसकर्मी को लिव-इन में रहना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
x

सांकेतिक तस्वीर

सेवा नियमों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया.
रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने सेवा नियमों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, एक शादीशुदा पुलिसकर्मी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा था। पार्टनर द्वारा उसके खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज कराने के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
कोर्ट ने कहा कि हालांकि पुलिसकर्मी को इस लिव-इन पार्टनर द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में बरी कर दिया गया था, लेकिन यह सेवा से उसकी बर्खास्तगी को रद्द करने का आधार नहीं है। झारखंड हाई कोर्ट ने हाल ही में एक पुलिस कांस्टेबल की बर्खास्तगी को बरकरार रखा, जो शादीशुदा था लेकिन किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहता था।
जस्टिस डॉ. एसएन पाठक ने कहा कि हालांकि पुलिस अधिकारी को इस लिव-इन पार्टनर द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में बरी कर दिया गया है, लेकिन यह सेवा से उसकी बर्खास्तगी को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, "यह एक पुलिसकर्मी के लिए अशोभनीय है जो पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन-रिलेशन में था। यह उन नियमों का भी उल्लंघन है जिसके तहत याचिकाकर्ता की सेवा शर्तें संचालित होती हैं।" पुलिसकर्मी की लिव-इन पार्टनर द्वारा उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराने के बाद उसे जून 2018 में निलंबित कर दिया गया और विभागीय कार्यवाही शुरू की गई। हालांकि, पुलिसकर्मी ने बलात्कार के आरोप से इनकार किया, लेकिन उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता के वकील सतीश प्रसाद ने कोर्ट से कहा कि कांस्टेबल को केवल तभी सेवा से बर्खास्त किया जा सकता था, जब उस पर दो विवाह का आरोप हो। वकील ने कहा कि पुलिसकर्मी केवल लिव-इन रिलेशनशिप में था। कांस्टेबल के मामले से संबंधित झारखंड सेवा संहिता प्रावधान केवल दूसरी शादी के आयोजन से संबंधित है। इसलिए वकील ने तर्क दिया कि कांस्टेबल की बर्खास्तगी को रद्द किया जाना चाहिए।
हालांकि राज्य की ओर से पेश वकील गौरव अभिषेक ने कहा कि कांस्टेबल पहले से शादीशुदा होने के बावजूद अवैध संबंध में पाया गया था। राज्य ने दलील दी कि यह झारखंड सेवा संहिता और झारखंड पुलिस मैनुअल का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि यह माना गया कि पुलिसकर्मी का अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध था। याचिकाकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया है कि वह किसी महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में था।
याचिकाकर्ता की यह स्वीकारोक्ति कि वह पत्नी के अलावा एक महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में था, झारखंड पुलिस के सेवा संहिता के नियम 23 के अनुसार, बर्खास्तगी का पर्याप्त कारण बन जाता है। इस आधार पर कोर्ट ने कांस्टेबल (याचिकाकर्ता) के खिलाफ पारित किए दंड आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
Next Story