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आलू की पछेती फसल में लेट ब्लाइट का प्रकोप

Shantanu Roy
7 May 2024 9:30 AM GMT
आलू की पछेती फसल में लेट ब्लाइट का प्रकोप
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पालमपुर। अप्रैल में हुई असमय बारिश से राज्य के कुछ क्षेत्रों में गेहूं की कटाई एवं थ्रेसिंग में किसानों को परेशानी हुई है। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार जिन क्षेत्रों में आलू की पछेती फसल लगाई गई है, वहीं पर लेट ब्लाइट का प्रकोप देखा गया है। धान की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। पौध रोपण के चार सप्ताह पूर्व नर्सरी की बुआई कर देनी चाहिए। लंबी, बौनी और बासमती किस्मों की नर्सरी क्रमश: 20 मई से सात जून और 15 मई से 30 मई के दौरान उगाई जानी चाहिए। धान की उन्नत किस्मों में आरपी-2421. सुकरा धान-1. एचपीआर-1068, कस्तूरी बासमती, एचपीआर.-2621 और एचपीआर-2143 हैं। मक्का की बिजाई 15 मई से जून के प्रथम सप्ताह तथा 20 मई से 15 जून तक ऊंची एवं मध्य पहाडिय़ों में क्रमश: करनी चाहिए।

मक्का चारा की अफ्रीकन टॉल किस्म की बिजाई के लिए बीज की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए। प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में जहां टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च व कद्दू वर्गीय फसलों की बिजाई या रोपाई फरवरी के दूसरे या मार्च के प्रथम पखवाड़े में की गई हो वहां इन सब्जियों में निराई-गुड़ाई करें तथा 40-50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर भी साथ में डालें। मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में फूलगोभी की अगेती किस्मों की पनीरी उगाने का उपयुक्त समय है। फ्रांसबीन की सुधरी प्रजातियों कंटेडर, पालम मृदुला, फाल्गुनी, अर्का कोमल की बिजाई पंक्तियों में 45-60 सेंटीमीटर की दूरी पर तथा पौधे में 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सब्जियों जैसे फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, शलजम, लैट्यूस, पालक, मटर इत्यादि की निराई-गुड़ाई करें तथा मटर के अतिरिक्त अन्य फसलों में 40 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर गुड़ाई को खेतों में डालें।
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