x
Shimla. शिमला। आलू की मांग को देखते हुए सीपीआरआई संस्थान के द्वारा आलू की नई किस्में तैयार की जा रही है। संस्थान ने भविष्य की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आलू की फसल का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगातार शोध कार्य चल रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आलू की फसल ठंडे पाले से मुक्त क्षेत्रों और मौसम में सबसे अच्छी तरह से उगती है और फसल गर्मी में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है। इन बढ़े हुए उत्पादन लक्ष्यों को बढ़े हुए क्षेत्र, उत्पादकता और विभिन्न अंालू उत्पादक कृषि परिस्थितिकी के लिए बेहतर शमन रणनीतियों से पूरा किया जा सकता है। उच्च तापमान का प्रभाव न केवल उत्तर-पश्चिमी मैदानों की अगेती मौसम की फसल को प्रभावित करता है, बल्कि मध्य और पूर्वी मैदानों की मुख्य मौसम की फसल पर भी इसका प्रभाव पडऩे की संभावना रहती है।
इस तरह के अजैविक तनावों के प्रभाव को दूर करने और कम करने के लिए बेहतर लचीलपन के साथ आलू की किस्में भविष्य के उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकते है। इन सभी कारणों को देखते एक नई गर्मी-सहिष्णु किस्म कुफरी भास्कर विकसित गई है। कुफरी भास्कर आलू नई किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है। गर्मी सहन करने वाली किस्म है, जिसमें माइट और हॉपर बर्न सहनशीलता है। यह एक वानस्पतिक रूप से प्रवर्धित किस्म है, जो उच्च तापमान और संबंधित समस्याओं के लिए अधिक लचीलापन रखती है। कुफरी भास्कर एक अगेती-मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है। आलू की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशाल उतरी मैदानों की अगेती फसल के अलावा गैर-परंपरागत और गर्म क्षेत्रों में आलू की खेती का विस्तार करने का एक अन्य विकल्प प्रदान करेगा। मध्यम परिपक्वता, अच्छी उपज क्षमता और परिवेशीय परिस्थितियों में लंबे समय तक भंडारण क्षमता है।
Next Story