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भारत-पकिस्तान से जुड़ा है ये दो नाम
New Delhi. नई दिल्ली। कम लोग जानते है कि वाघा बॉर्डर Wagah Border पाकिस्तानी साइड का नाम है और भारतीय साइड का नाम अटारी बॉर्डर attic border है। इसके बावजूद भी हम उसे वाघा बॉर्डर नाम से ही बुलाते है क्योंकि पाकिस्तान प्रेमीयों व पाकिस्तान प्रेमी मीडिया वालों को हड्डी पाकिस्तान से जो मिलती है। अटारी बॉर्डर का नाम सरदार शाम सिंह अटारी के नाम पर रखा गया था। श्याम सिंह अटारी महाराजा रंजीत सिंह के सेना प्रमुख थे जिन्होंने कायर मुग़लो को युद्ध मे कई बार धूल चटाई थी। अटारी बॉर्डर को वाघा बॉर्डर नाम से बुलाना महान सरदार शाम सिंह अटारी का अपमान है।
वाघा बॉर्डर एवं अटारी बॉर्डर भारत- पाकिस्तान के बीच की सीमा है जोकि अमृतसर और लाहोर के बीच स्थित है। मूलतः ये दोनो नाम एक ही सीमा को दर्शाते है. फ़र्क़ बस इतना है कि सीमा के भारत की ओर वाले द्वार, जो कि पंजाब के एक गाँव अटारी के नाम से जाना जाता है, में स्थित है जिसकी वजह से भारत में इसे अटारी बॉर्डर कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर वाले द्वार, जो कि वाघा के नाम से जाना जाता है, में स्थित है जिसकी वजह से पाकिस्तान में इसे वाघा बॉर्डर कहा जाता है। भारत और पाकिस्तान के मध्य चलने वाली ट्रेन समझौता ऐक्सप्रेस भी अमृतसर से अटारी एवम् वाघा स्टेशन से होते हुए लाहौर पहुँचती है।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित ऐतिहासिक वाघा बॉर्डर का जो हिस्सा भारत में आता है, उसका नाम बदलकर अब अटारी बॉर्डर कर दिया गया है. इस बारे में शनिवार को पंजाब सरकार की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसके मुताबिक भारत की ओर स्थित सीमा क्षेत्र को अब अटारी बॉर्डर के नाम से जाना जाएगा. भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित वाघा बॉर्डर के रास्ते दोनों ओर से लोगों का आना-जाना होता है. पंजाब सरकार ने बताया है कि ऐसा किए जाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई थी जिसे केंद्र से मंज़ूरी मिलने के बाद वाघा बॉर्डर का नाम अब अटारी बॉर्डर होगा. इस ऐतिहासिक सीमा क्षेत्र ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन से लेकर अभी तक कई ऐतिहासिक पलों को देखा है।
विभाजन के 60 वर्ष बीत जाने के बाद अब पंजाब और भारत सरकार को ध्यान आया है कि दरअसल वाघा नाम का गांव तो पाकिस्तान के हिस्से में आता है जबकि इस सीमा क्षेत्र के भारत की ओर वाले हिस्से को अटारी कहा जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब यह निर्णय लिया गया है कि भारत में स्थित सीमा क्षेत्र को अटारी बॉर्डर कहा जाएगा. यह भी कहा गया है कि अटारी गाँव महाराजा रंजीत सिंह की सिख वाहिनी के नामी सेनापति शाम सिंह अटारीवाला का जन्म स्थान है इसलिए इस नाम का ऐतिहासिक महत्व है. हालांकि दोनों ओर से खुले सीमा क्षेत्र की मांग करते आ रहे लोगों का कहना है कि सरकार के इस क़दम से कोई फ़ायदा नहीं होगा और यह नया नाम केवल सरकारी कामकाज और दस्तावेज़ों तक सिमट कर रह जाएगा. भारत की ओर से यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देश इस सीमा क्षेत्र से आवागमन को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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