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जम्मू-कश्मीर: इस साल विधानसभा चुनाव के आसार खत्म, आया ये अपडेट
jantaserishta.com
10 Aug 2022 3:05 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव कराए जाने की कोई संभावना नहीं है. निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विशेष सारांश संशोधन की अनुसूची में 25 नवंबर को मतदाता सूची के प्रकाशन की अंतिम तिथि के रूप में संशोधित किया है चूंकि 25 नवंबर को मतदाता सूची के प्रकाशन के लिए अंतिम तिथि के रूप में निर्धारित किया गया है, इससे स्पष्ट है कि इस साल केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव नहीं होंगे.
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचक ड्राफ्ट रोल को 15 सितंबर को प्रकाशित किया जाएगा. इसको लेकर किसी भी तरह की आपत्ति के लिए 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक का समय निर्धारित किया गया है. इन आपत्तियों का समाधान 10 नवंबर तक किया जाएगा. इसके बाद 19 नवंबर से पहले तक फाइनल प्रकाशन के लिए कमीशन को ड्राफ्ट रोल भेजा जाएगा. तब ये अंतिम सूची 25 नवंबर को प्रकाशित की जाएगी.
पहले ऐसी खबरें आई थीं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. नवंबर मध्य से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं क्योंकि तब जम्मू कश्मीर में मौसम उतना ठंडा नहीं होगा. बाद में बर्फबारी होने से कई इलाकों में मतदान पर असर पड़ता है. लिहाजा आयोग तीनों राज्यों के चुनाव एक ही साथ कराने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. संभावनाओं पर शुरुआती रिपोर्ट तलब की गई है. बता दें कि गुजरात विधान सभा का कार्यकाल दिसंबर में और हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है.
इस बार जम्मू कश्मीर विधान सभा लद्दाख के बिना होगी. सीटों में इजाफा होगा. जम्मू कश्मीर संभाग में आबादी और क्षेत्रफल के अनुपात में भेदभाव नहीं होगा. दशकों और पीढ़ियों से जम्मू कश्मीर में रह रहे अनुसूचित जाति के लोगों को 'प्रवासी' कह कर मतदान से वंचित किए जाने वाले कश्मीरियों को भी इस बार से मतदान का अधिकार होगा. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण वाली सीटें होंगी.
हालांकि लद्दाख में शेड्यूल छह के तहत पूर्ण राज्य की मांग को लेकर माहौल गरमाता दिख रहा है. सरकार ने ऐलान किया है कि चीनी सीमावर्ती लद्दाख का दर्जा शेड्यूल छह जैसा ही होगा. बस जैसा शब्द से आपत्ति जताते हुए कुछ जन प्रतिनिधियों और स्थानीय नेताओं ने कहा है कि जैसा नहीं बल्कि लद्दाख की जनता के शेड्यूल छह के प्रावधानों के तहत पूर्ण राज्य से कम कुछ भी मंजूर नहीं है क्योंकि जब सिक्किम को राज्य बनाया था तो वहां की आबादी महज ढाई लाख थी. लद्दाख में तो फिर भी तीन लाख से ज्यादा आबादी बसती है.
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