Jaipur: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर टिका अन्य प्रवेश परीक्षाओं के छात्रों का भविष्य
जयपुर: देश की बड़ी परीक्षाओं को पारदर्शी, कुशल और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए करीब सात साल पहले केन्द्र सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का गठन किया गया, लेकिन पिछले कुछ ही दिनों में देश की सबसे बड़ी तीन परीक्षा नीट, जेईई, यूजीसी नेट 2024 में से नीट और यूजीसी नेट का पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। जबकि नीट यूजी पर घमासान अभी थमा भी नहीं कि यूजीसी नेट जून 2024 पेपर लीक का मामला सामने आ गया। शिक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया है।
दरअसल, साल 2017 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा में प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक एकल, स्वतंत्र, स्वायत्त निकाय स्थापित करने की घोषणा की और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को औपचारिक रूप से स्थापित कर दिया गया। इस एजेंसी का गठन देश की शैक्षणिक प्रणाली में बड़े सुधार और परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी, कुशल और निष्पक्ष बनाना के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन यह उस उद्देश्य में सफल होती दिखाई नहीं दे रही है। क्योंकि पेपर लींक होने से प्रतिभाशाली छात्रों के साथ खिलवाड़ हो रहा है और भविष्य धूमिल हो रहा है।
यह है परीक्षाओं के छात्रों का आंकड़ा: एनटीए का भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की 15 परीक्षाएं आयोजित कर रही है। जिसमें एक सत्र की परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों की संख्या 1 करोड़ से अधिक है। अकेले नीट यूजी में करीब 24 लाख और यूजीसी नेट में करीब 10.50 लाख से ज्यादा अधिक छात्रों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था। इसके अलावा 13 लाख से ज्यादा उम्मीदवार सीयूईटी यूजी एग्जाम में बैठते हैं तो जेईई मैन्स में करीब 15 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए।
एक समान पात्रता परीक्षा: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के अनुसार, सभी मेडिकल संस्थानों में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक समान राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) आयोजित की जाती है, इसमें एम्स, नई दिल्ली, जेआईपीएमईआर और सभी एम्स जैसे संस्थान भी शामिल हैं।