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Ghumarwin. घुमारवीं। बारिश के अभाव में बिलासपुर जिला में सूखे जैसी नौबत बनती नजर आ रही है। लंबे समय से बारिश न होने से किसान जहां समयानुसार अपने खेतों में गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं। वहीं, खेतों मेंं लगाई गई सब्जियों जैसे पालक, मेथी और लहसुन की फसल खेतों में सिंचाई के अभाव में सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है। हैरत की बात यह है कि जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत भूमि बारिश के पानी पर ही निर्भर है। महज 20 प्रतिशत भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा है। अक्तूबर से लेकर 15 नवंबर तक का समय गेहूं की बिजाई के लिए सही माना जाता है। इसके बाद यदि किसान गेहूं की बिजाई करते हैं तो उन्हें बीज की क्षमता बढ़ानी पड़ती है। दिसंबर में गेहूं की बिजाई करने से किसानों को हानि होने की अधिक संभावना रहती है। जिला में अधिकांश किसान दो फसलों मक्की और गेहूं को ही तवज्जो देते हैं।
जिला बिलासपुर की बात की जाए तो करीब 26 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की जाती है। लंबे समय से बारिश न होने से जलस्रोतों और बावडिय़ों में जलस्तर की कमी दर्ज की गई है। बारिश के अभाव में, सूखे जैसी उत्पन्न हो रही स्थिति से गेहूं की बिजाई का कार्य भी अधर में लटका हुआ है। बिलासपुर जिला में गेहूं की बिजाई के लिए नमी वाले क्षेत्रों में बिजाई का समय अनुकूल है। ऐसे में किसान नमी वाली जमीन पर गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 20 अक्तूबर से नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक बिजाई का बेहतर समय होता है। इस समय में की गई बिजाई से फसल की पैदावार बेहतर रहने की उम्मीद होती है। मिट्टी की उथल पुथल से नमी बरकार रहती है। जहां नमी है वो किसान बिजाई कर सकते हैं। जहां जमीन में नमी नहीं है वो किसान बारिश का इंतजार करें या सिंचाई करके गेहूं की बिजाई करें।
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