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दुनिया को 5 शब्दों में समझा दी थी भारत की संस्कृति, जानें ऐसे स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार

Renuka Sahu
12 Jan 2022 1:47 AM GMT
दुनिया को 5 शब्दों में समझा दी थी भारत की संस्कृति, जानें ऐसे स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार
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फाइल फोटो 

‘Sisters and Brothers of America...’ महज 5 शब्द और स्वामी विवेकानंद ने जीत लिया था हजारों लोगों का दिल.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 'Sisters and Brothers of America...' महज 5 शब्द और स्वामी विवेकानंद ने जीत लिया था हजारों लोगों का दिल. ऐसे स्वामी विवेकानंद का जन्म सन 1863 में आज ही के दिन यानी 12 जनवरी को हुआ था. जिसे भारत सरकार ने राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. स्वामी विवेकानंद ने दुनिया भर के देशों में जाकर यहां की संस्कृति और सभ्यता का प्रचार किया था. जिस कारण दुनिया भर में उनके प्रशंसक आज भी मौजूद हैं. उनके प्रेरणादायी वाक्यों ने दुनिया भर के लोगों को प्रोत्साहित किया. ऐसे में आज जानते हैं उनके कुछ प्रभावी कथनों के बारे में, जो करोड़ों युवाओं में आज भी प्रेरणा भर रहे हैं.

तालियों की गड़गड़ागट से गूंज उठी थी महासभा
11 सितंबर 1893 को जब विवेकानंद स्टेज पर खड़े हुए और सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका से बात शुरू की, तो वहां बैठे 7 हजार लोगों की तालियों से महासभा गूंज उठी. यह तालियां उस संन्यासी के लिए बज रही थीं, जो एक गुलाम देश का निवासी था और विश्व को बताने आया था कि भारत किसी से भी कम नहीं है.
5 साल तक पैदल चल देश को जाना था
स्वामी विवेकानंद के उस भाषण को 127 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी हम अगर स्वामी जी के शब्द पढ़ें तो तन-मन में अलग ही प्रकार की ऊर्जा आ जाती है. स्वामी विवेकानंद के शब्दों से अगर भारत को जानेंगे तो शायद देश के दिल तक पहुंच पाएंगे. क्योंकि विवेकानंद ने अपने भाषण में उस भारत का जिक्र किया था जिसे उन्होंने 5 साल तक पैदल चल कर जाना था. वह रास्ते में आने वाले पेड़ों के नीचे सोए, कई दिनों तक भूखे रहे. न जाने कितनी तपस्या के बाद वह उस भारत को समझ पाए, जिसका उन्होंने विदेशियों के सामने प्रतिनिधित्व किया.
हर बच्चे में राष्ट्र निर्माण में योगदान की झलक देखते थे विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद ने गुरू रामकृष्ण परमहंस से शिक्षा लेकर दुनिया भर के लोगों में आशा की किरण का विकास किया. वो हमेशा से मानते थे कि जब तक इस देश का युवा अपने सुख-शांति को त्याग कर देशहित के कर्मों के लिए आगे नहीं बढ़ेगा, देश का विकास संभव नहीं है. उनके अनुसार राष्ट्र के निर्माण में युवाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा का प्रसार मूल साधन है. धर्म, साहित्य, वेद, पुराण, दर्शनशास्त्र और उपनिषद के ज्ञाता विवेकानंद ने कानून की शिक्षा भी ली थी. आइए जानते हैं उनके 10 प्रेरक कथनों को-
1. उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए.
2. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो. सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं.
3. मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है. वे सिंह की भांति सभी समास्याओं से लड़ सकते हैं.
4. जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी.
5. मेरे साहसी युवाओं, यह विश्वास रखो कि तुम ही सब कुछ हो महान कार्य करने के लिए इस धरती पर आए हो, चाहे वज्र भी गिरे, तो भी निडर हो खड़े हो जाना और कार्य में लग जाना. साहसी बनो.
6. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
7. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
8. सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना. स्वयं पर विश्वास करो.
9. खुद को कभी कमजोर न समझो, क्योंकि ये सबसे बड़ा पाप है.
10. दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा अपने दिल की बात सुनो.
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