पुंछ। एक तरफ जहां पूरे देश में इन दिनों दिवाली की धूम है। वहीं जिले में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा भी इस धूम से किसी भी प्रकार दूर नहीं है। नियंत्रण रेखा पर घरों से दूर तैनात सेना के जवान भी दिवाली मनाने में मस्त हैं। नियंत्रण रेखा पर अंतिम चौकियों में तैनात सेना के जवानों की दिवाली कैसी है। देश के प्रहरी किस प्रकार दिवाली मना रहे हैं।
इसको जानने के लिए शनिवार को पुंछ जिले में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर समुद्रतल से दस हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सेना की अंतिम चौकी पर पहुंच कर इस बात का जायजा लेने का प्रयास किया तो पाया कि विपरीत परिस्थितियों में, प्रतिकूल मौसम क्षेत्र में दो दिन पहले गिरी पहली बर्फ से डके क्षेत्र और दुश्मन की चौकियों से महज सौ मीटर की दूरी पर तैनात सेना के इन जवानों में भी दिवाली को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। जहां जवान दो दिन पहले से ही दिवाली मनाने में जुटे हुए थे। इतनी ऊंचाई पर दुशमन के एक दम सामने डटे यह जवान जहां बर्फ की मोटी परत पर अपने बंकरों के मध्य में दिवाली की मिठाईयां बांटते हुए एक दूसरे का मुंह मीठा करते हुए दिवाली की खुशियां मनाते नजर आए। जहां वह अपनी खुशियों को मानने के साथ भारत माता की जय और देशवासियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं के जयघोष लगा रहे थे। इससे न सिर्फ पूरे क्षेत्र गूंज उठा, बल्कि दुश्मन की चौकियों पर तैनात जवानों को भी इस बात का पता चल गया कि सेना के जवान दिवाली मना रहे हैं।
नियंत्रण रेखा पर दुश्मन के सामने दिन रात डटे इन जवानों में दिवाली को लेकर इतना जोश और उत्साह है कि वर्ष भर अंधेरे में रहने वाले बंकरों को भी यह जवान मोमबत्तियां जला कर रोशन कर रहे थे। इन जवानों का कहना है कि यहां इन बंकरों में हम कभी रोशनी नहीं करते हैं, क्योंकि दुशमन के काफी करीब होने के कारण रोशनी होने पर दुशमन को इस बात का पता चल जाता है कि हमारा बंकर कहां है, लेकिन दिवाली दीपों का त्योहार है, और यह अंधेरा मिटाने के लिए मनाई जाती है। तो हम अपनी इस अंतिम चौकी को भी किसी तरह अंधेरे में नहीं रहने देते हैं। चाहे कुछ ही पलों के लिए हम यहां रोशनी करते हैं पर दिवाली पर हर कोने में रोशनी जरूर करते हैं। अपनी दिवाली मनाने की खुशियों के बीच सरहद के इन प्रहरियों के दिलों में अपने देश एवं देश वासियों का कितना ख्याल है। इस बात का पता उस समय चला जब अंतिम चौकी पर तैनात इन जवानों ने एक साथ एक स्वर में देशवासियों के लिए संदेश दिया कि आप अपने घरों में धूमधाम से दिवाली मनाएं। हम यहां सरहद पर डटे हुए हैं, और उस पार से होने वाली दुशमन की हर कोशिश को नाकाम बनाएंगे उसके बुरे इरादों को चकनाचूर कर देंगे। दुश्मन की नापाक हरकत की आंच आप तक नहीं पहुंचने देंगे। पहाड़ की उंची चोटी पर जहां उससे ऊपर केवल आसमान ही है तैनात जवानों का कहना है कि हम यहां आपस में इस प्रकार प्रेम से दिवाली मनाते हैं। तो हमें कभी इस बात का अहसास नहीं होता है कि हम अपनों से दूर हैं क्योंकि यहां हम सब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई न होकर भाई-भाई होते हैं। इन जवानों का कहना हैकि हालांकि इस क्षेत्र में कई प्रकार की चुनोतियों का हमें सामना करना पड़ता है और जैसे जैसे चुनौतियां बढ़ती हैं, हमारा मनोबल भी दो गुना हो जाता है। उस पर होली, ईद, गुरुपर्व और दिवाली हमारे मनोबल में धार लगाने का काम कर जाते हैं।