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आईआईटी शोधकर्ताओं ने देश के लिए बेहद आधुनिक और महत्वपूर्ण रिसर्च की
jantaserishta.com
25 Jun 2023 6:15 AM GMT
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नई रिसर्च का इस्तेमाल स्वदेशी हवाई जहाज बनाने के लिए किया जा रहा है।
नई दिल्ली: आईआईटी के शोधकर्ताओं ने देश के लिए एक बेहद आधुनिक और महत्वपूर्ण रिसर्च की है। आईआईटी की इस नई रिसर्च का इस्तेमाल स्वदेशी हवाई जहाज बनाने के लिए किया जा रहा है। दरअसल आईआईटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा विशेष पदार्थ विकसित किया है जिससे कि हवाई जहाज का ढांचा तैयार करने में मदद मिल सकती है।
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है। आईआईटी मंडी के डॉ. सनी ज़फर ने आईएएनएस को बताया कि यह विशेष पदार्थ हवाई जहाज जैसी एयरोस्पेस संरचनाओं, विंड टरबाइन ब्लेड्स, इलेक्ट्रिक वाहनों के संरचनात्मक भाग, खेल सामग्री आदि में काफी उपयोगी हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन मिश्रित सामग्रियों के निर्माण के लिए कम बिजली की खपत करने वाली प्रक्रिया का उपयोग हुआ है जो विनिर्माण प्रक्रियाओं में विकास की महत्व को प्रकट करता है। इस तरह की प्रगति इन उद्योगों और उससे परे समग्र स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस नए पदार्थ की टेस्टिंग फिलहाल मालवाहक विमानों के निर्माण हेतु की जा रही है। डॉ. सनी ज़फर ने बताया कि वर्तमान में दुनिया की कुल बिजली की मांग में से आधा हिस्सा वैश्विक निर्माण क्षेत्र का है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुमानों के अनुसार यह मांग 2030 तक 50 प्रतिशत तक और बढ़ सकती है। इसलिए आगामी बिजली संकट का सामना करने के लिए और विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक और पर्यावरणीय स्थायित्व को प्रोत्साहन देने के लिए बिजली की कम खपत करने वाली प्रक्रियाओं का विकास करना अत्यावश्यक है। फाइबर युक्त प्लास्टिक मिश्रित पदार्थों के निर्माण में काफी बिजली का उपयोग होता है क्योंकि इसकी निर्माण प्रक्रिया के दौरान उच्च ताप और दबाव की आवश्यकता होती है। यह फाइबर युक्त प्लास्टिक मिश्रित पदार्थ विभिन्न प्रकार के वाहनों में इस्तेमाल होता है। जबकि आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं द्वारा सुझाई गयी निर्माण प्रक्रियाओं में फाइबर युक्त प्लास्टिक मिश्रित पदार्थों के उत्पादन से जुड़ी लागत और बिजली का उपयोग कम करने की क्षमता है। निर्माण क्षेत्र में बिजली की लगातार होने वाली मांगों को पूरा करने के लिए शोधकर्ता तेजी से ऊर्जा के क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करने के लिए अल्ट्रासोनिक, प्रतिरोध हीटिंग, पराबैंगनी विकिरण, इलेक्ट्रॉन बीम, इन्फ्रारेड, लेजर और माइक्रोवेव प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने वाले तरीकों की खोज कर रहे हैं। अपने इस शोध के पीछे का कारण बताते हुए आईआईटी मंडी के डॉ. सनी ज़फर ने कहा, "माइक्रोवेव-आधारित निर्माण प्रक्रियाएं काफी आशाजनक हैं क्योंकि 10 मिमी मोटे किसी मिश्रित पदार्थ पर परिक्षण में थर्मल क्यूरिंग की तुलना में माइक्रोवेव क्यूरिंग लगभग चार गुना तेज है और इस प्रक्रिया में मिश्रित पदार्थ की मोटाई के अनुरूप क्यूरिंग का स्तर एक समान रहता है। वैक्यूम सहायित माइक्रोवेव क्यूरिंग से कांच फाइबर मिश्रित प्लास्टिक पदार्थ के खोखलेपन को न्यूनतम किया जा सकता है, जिससे लगातार उसकी मजबूती बढती है।"
आईआईटी मंडी की टीम ने इसके लिए नई प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है। इस प्रक्रिया में मिश्रित सामग्री की क्योरिंग में तेजी लाने के लिए गर्मी और दबाव उत्पन्न करने के लिए माइक्रोवेव ऊर्जा का उपयोग किया गया है। इस अनुसंधान के निष्कर्ष सीआईआरपी जर्नल ऑफ मैन्युफैक्चरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड प्रोसीडिंग्स ऑफ द इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स, पार्ट ई जर्नल ऑफ प्रोसेस मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मनजीत रानी, प्रो. पियरपोलो कार्लोन (सालेर्नो विश्वविद्यालय) राजीव कुमार और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सनी ज़फर के सहयोग से प्रकाशित किए गए हैं।
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