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IGMC कर्मियों को अस्पताल के अंदर नहीं मिलेगी पार्किंग

Shantanu Roy
16 July 2024 11:29 AM GMT
IGMC कर्मियों को अस्पताल के अंदर नहीं मिलेगी पार्किंग
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Shimla. शिमला। आईजीएमसी में मरीजों के तिमारदारों को अस्पताल में सबसे ज्यादा समस्या पार्किंग की रहती है। पार्किंग न मिलने के कारण तिमारदारों को कई किलोमीटर दूर अपनी गाडिय़ां खड़ी करनी पड़ती है। वहीं, आपातकाल के दौरान यह समस्या सबसे बड़ी रहती है। कई बार एक मरीज के साथ एक ही तिमारदार आता है तो ऐसे में गाड़ी लगाना और मरीजों को उपचार के लिए चिकित्सक तक पहुंचना तिमारदार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत होती है। बता दें कि अस्पताल परिसर में बहुत सी गाडिय़ां खड़ी होती हैं, इसमें चिकित्सकों सहित यहां पर कैंटीन, सिविल सप्लाई शॉप, एचपीटीडीसी और अन्य संस्थाओं के कर्मचारियों की गाडिय़ां पार्क होती है। कई वाहन तो यहां पर कई-कई दिनों तक खड़े रहते हैं। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने हाल ही में फैसला लिया है कि अब यहां पर कैंटीन, सिविल सप्लाई शॉप, एचपीटीडीसी, और अन्य संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों की गाडिय़ां बाहर की जाएंगी, ताकि अस्पताल परिसर में पार्किंग का स्थान खाली रहे और जो आपातकाल में मरीजों का उपचार करने आते हैं उन्हें यहां पर कुछ देर
तक गाड़ी पार्क करने का स्थान मिल सके।
अस्पताल में हाल ही में पार्किंग की समस्या को लेकर हुई बैठक में यह फैसला लिया है। इसमें कहा गया है कि इन्हें किसी भी सूरत में पार्किंग में जगह न दी जाए। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत दो हजार से अधिक कर्मी 24 घंटे सेवाएं देते हैं, लेकिन आए दिन पार्किंग को लेकर काफी हंगामा होता है। बैठक में स्पष्ट किया है कि जो अस्पताल का कर्मचारी नहीं है, उन लोगों की गाडिय़ां अस्पताल में किसी भी सूरत में पार्क न होने दी जाए। कोई गाड़ी पार्क है तो संबंधित व्यक्ति को गाड़ी हटाने के निर्देश दिए जाएं। अस्पताल के कर्मचारियों को भी पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर पार्किंग सुविधा मिलेगी। बैठक के दौरान एमबीबीएस और मेडिकल टेक्नोलॉजी के किसी भी स्नातक प्रशिक्षु को भी पार्किंग सुविधा न देने की बात कही। शहर के रिपन अस्पताल में सबसे ज्यादा भीड़ निजी संस्थाओं की एंबुलेंस की रहती थी और इनके पार्किंग का भी यह मुख्य स्थान बन गया था। इसके कारण 108 वाली एंबुलेंस सहित अन्य आपताकाल में आए वाहनों को पार्क करने का स्थान नहीं मिल पाता था।
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