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ICMR ने बताया- कोरोना संक्रमितों पर 'कोवैक्सिन' की सिंगल डोज भी कारगर

Kunti Dhruw
28 Aug 2021 11:45 AM GMT
ICMR ने बताया- कोरोना संक्रमितों पर कोवैक्सिन की सिंगल डोज भी कारगर
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ICMR के एक अध्ययन में बताया

ICMR के एक अध्ययन में बताया गया कि कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सिन' (Covaxin) की सिंगल डोज वैसी ही एंटीबॉडी प्रतिक्रिया (Antibody Response) देती है, जैसी दोनों डोज लेने वाले उन लोगों में देती है, जिनकों कभी कोरोना का संक्रमण (Coronavirus) नहीं हुआ.

ICMR का यह अध्ययन शनिवार को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में पब्लिश हुआ है. अध्ययन में कहा गया, 'अगर बड़े जनसंख्या अध्ययनों में हमारे प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि की जाती है, तो पहले SARS-CoV-2 से संक्रमित हुए लोगों को BBV152 वैक्सीन की एक डोज दी जा सकती है, ताकि सीमित वैक्सीन सप्लाई में भी बड़ी संख्या में लोगों का वैक्सीनेशन किया जा सके.
भारत की पहली स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन Covaxin का कोडनेम BBV152 है. इस वैक्सीन को जनवरी में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सरकार से अप्रूवल मिला था. दो डोज वाली इस वैक्सीन को 4-6 हफ्तों के गैप में लगाया जाता है. अध्ययन में SARSCoV-2 संक्रमण वाले लोगों की एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की तुलना उन व्यक्तियों के साथ की गई, जो कभी कोरोना संक्रमण का शिकार नहीं हुए.
BBV152 वैक्सीन की सिंगल डोज भी कारगर
चेन्नई में फरवरी से मई 2021 के दौरान वैक्सीनेशन सेंटर्स पर BBV152 वैक्सीन लेने वाले हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स से ब्लड सैंपल्स लिए गए थे. यह ब्लड सैंपल्स BBV152 की पहली डोज लगाने से पहले लिए गए थे. SARS-CoV-2 से संक्रमण का निर्धारण SARS-CoV-2 IgG पॉजिटिविटी द्वारा बेसलाइन पर किया गया था. इस अध्ययन को ICMR-NIRT की आचार समिति ने अप्रूव किया है.
एंटीबॉडी के स्तर को तीन समय बिंदुओं पर मापा गया. (1) वैक्सीनेशन के दिन (बेसलाइन), (2) पहली डोज के एक महीने बाद और (3) पहली डोज के दो महीने बाद. दो को छोड़कर पूर्व कोविड संक्रमण वाले लगभग सभी लोगों में वैक्सीनेशन का समय पता लगाने योग्य एंटीबॉडी पाई गई. ICMR के वैज्ञानिक लोकेश शर्मा ने बताया, 'यह एक पायलट अध्ययन है. अगर बड़े जनसंख्या अध्ययनों में इस तरह के निष्कर्षों की पुष्टि की जाती है, तो पहले संक्रमित हुए कोविड मरीजों को BBV152 वैक्सीन की एक डोज दी जा सकती है ताकि सीमित वैक्सीन सप्लाई में भी बड़ी संख्या में लोगों का वैक्सीनेशन किया जा सके.
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