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रहस्यमयी बीमारी से जूझ रहे हयोलग के जुड़वां भाई-बहन, एक बहन की हो चुकी है मौत

Shantanu Roy
11 Sep 2023 9:24 AM GMT
रहस्यमयी बीमारी से जूझ रहे हयोलग के जुड़वां भाई-बहन, एक बहन की हो चुकी है मौत
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धर्मपुर। मंडी जिले के धर्मपुर उपमंडल की बनेरडी पंचायत के दूरदराज गांव हयोलग में 2 जुड़वां भाई-बहन रहस्यमयी बीमारी से जूझ रहे हैं। पीजीआई में करीब 24 वर्षों से उनका उपचार चल रहा है, लेकिन आज तक इस अजीबो-गरीब बीमारी का नाम और कारण न मिल पाने से महज लक्षणात्मक ट्रीटमैंट ही दिया जा रहा है। जुड़वां भाई-बहन से 3 साल बड़ी उनकी बहन ममता ठाकुर का इस बीमारी से निधन हो चुका है। भाई रामचंद्र 80 प्रतिशत तथा कौशल्या ठाकुर शत-प्रतिशत दिव्यांग हैं। सर्जरी के दौरान कौशल्या की एक आंख निकाल दी गई है। पिता हेमराज और माता वीणा देवी का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है और वह बिल्कुल ठीक है लेकिन ममता जब 2 साल की थी तो उसे स्किन में दाने उभरने लगे तथा रंग बदलने लगा। उसे पीजीआई ले जाया गया लेकिन वह कई वर्षों के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो पाई और 2 साल पहले उसका देहांत हो गया है। यही बीमारी उनके बेटे रामचंद्र और बेटी कौशल्या को भी हो गई जब वे अढ़ाई वर्ष के थे।
बीते 24 वर्षों से उनका उपचार चल रहा है। उनके उपचार में पीजीआई के पूर्व निदेशक डाॅ. जगत राम ने रुचि दिखाते हुए अमेरिका के चिकित्सक दल से भी चैकअप कराया लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। रामचंद्र और कौशल्या की नजरें बहुत कमजोर हो चुकी हैं और अचानक उठने वाले ट्यूमर्ज का सर्जिकल ट्रीटमैंट देना पड़ता है। इसी प्रक्रिया में कौशल्या की एक आंख भी निकाल दी गई है। पिता हेमराज मनरेगा मजदूर होने के बावजूद बीमार बच्चों की हरसंभव आर्थिक सहायता कर रहे हैं। बीमारी से लंबे संघर्ष में आंखों की रोशनी गंवाने के बावजूद कौशल्या ठाकुर के हौसले बुलंद हैं। वह शिमला के आरकेएमवी कॉलेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है। उनका लक्ष्य है कि शिक्षक बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दूं। उनका कहना है कि उन्हें पीजीआई में उपचार के लिए महीने में 2-3 बार भी जाना पड़ता है लेकिन एचआरटीसी की बस जैसे ही हिमाचल की सीमा पार करती है तो भाई-बहन का टिकट काटा जाता है, जबकि वह शत-प्रतिशत और भाई 80 फीसदी दिव्यांग है।
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