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Palampur. पालमपुर। आखिर पालमपुर के नेता टूरिज्म विलेज पर खामोश क्यों हैं। जिस प्रकार से प्रदेश की कांग्रेस सरकार कमीशन खोरी की आड़ में प्रदेश में नए दिन नई घटना को अंजाम दे रही है, उसमें पालमपुर भी अछूता नहीं रहा है। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय जैसे विद्या मंदिर के आंगन में टूरिज्म विलेज की आड़ में एक बड़ी कमीशन खोरी की बड़ी बदबू आ रही है। इसके बावजूद कुछ राजनीतिक नेताओं के मुंह में क्यों ताला लगा हुआ है। ये शब्द भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कहे। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह भूमि चाय बागान की थी।
लेकिन वर्ष 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस जमीन का स्वरूप बदलकर नेशनल बायोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए स्थानांतरित की थी। वर्ष 1978 में जनता पार्टी के सरकार के प्रयासों से चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय के रूप में प्रदेश व देश के किसानों की सेवा कर रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि दुर्भाग्यवश लगभग लगातार 40 वर्ष तक शासन करने वाली कांग्रेस की केंद्र सरकार नेशनल बायोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित नहीं कर पाई। भाजपा नेता ने कहा उम्मीद करता हूं कि पालमपुर के ऐसे सभी बड़े नेता इस टूरिज्म विलेज के विषय को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे कि वे इसके पक्ष में हैं या नहीं।
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