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Sarkaghat. सरकाघाट। सरकाघाट के जमसाई गांव के वीर सपूत हवलदार सुखदेव सिंह ने लेह लद्दाख की सर्द और कठिन परिस्थितियों में देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। 43 वर्षीय सुखदेव सिंह कुछ माह पहले ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटे थे। उन्होंने अपनी पत्नी अनीता देवी से वादा किया था कि नवंबर के पहले सप्ताह में फिर घर आएंगे। अप्रैल 2025 में निर्धारित उनकी सेवानिवृत्ति के बाद नई योजनाएं बनाने का सपना भी मन में था, लेकिन देश सेवा में उनका यह अंतिम सफ र बन गया। उनकी पत्नी घर में उनके लौटने का इंतजार कर रही थीं, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था। उनकाइकलौते 20 वर्षीय बेटा आयुष चंडीगढ़ से घर के लिए रवाना हुआ।
सैनिक वाहन में जब सुखदेव सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पत्नी अनीता देवी और बेटे आयुष के आड्डसुओं का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा था। पूरे गांव के लोग भी अपने इस बहादुर बेटे के अंतिम दर्शन करने पहुंचे। शवयात्रा में सैकड़ों लोग पैदल श्मशान घाट तक पहुंचे। वहां बेटे आयुष ने पिता को मुखाग्नि दी और सेना के जवानों ने राजकीय सम्मान के साथ सलामी देकर उन्हें अंतिम विदाई दी। इस मौके पर तहसीलदार मुनीश कुमार, नगर परिषद के चेयरमैन कश्मीर सिंह, वार्ड सदस्य वृज लाल और अन्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। हवलदार सुखदेव सिंह की शहादत पर विधायक दलीप ठाकुर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पवन ठाकुर, जिला परिषद सदस्य मुनीश शर्मा, व्यापार मंडल के अध्यक्ष ब्रह्म दास शर्मा, सेवा संकल्प समिति के अध्यक्ष चंद्रमणि वर्मा, नगर विकास समिति के अध्यक्ष सोहन लाल गुप्ता, सोमा राणा और जमसाई सुधार सभा के अध्यक्ष जगदीश राणा सहित सैकड़ों लोगों ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
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