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Kangra. कांगड़ा। कुंभ मेला में प्रयागराज पहुंचकर जहां लाखों लोग स्नान कर पुण्य के भागी बने, तो वही घृतमंडल पर्व पर भी माता ब्रजेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा में हजारों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। हर कोई मां का दीदार कर लेना चाहता था। कांगड़ा के इतिहास में शायद यह पहला मौका रहा होगा कि लोगों की इतना सैलाब उमड़ा। पूरे मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों की कतारे लगनी शुरू हो गई थीं। दोपहर होते-होते तक यहां मेला लग गया था। पहाड़ की महिलाएं माता मंदिर प्रांगण में मां की भेंटे गाकर बज्रेश्वरी का गुणगान कर रही थी, तो वही कारीगर फूलों की साज-सज्जा करने में जुटे हुए थे। पुलिस के सुरक्षाकर्मी अपने दायित्व निभा रहे थे। मंदिर के बाहर किसी ने कढ़ी चावल का लंगर लगाया था तो कोई हलवा बांट रहा था।
कुल-मिलाकर एक अजब नजारा यहां देखने को मिला। पूरे कांगड़ा शहर में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी। मां के दर्शन करने के साथ-साथ लोग खरीदारी में भी जुटे थे। नगर परिषद मैदान में मंदिर प्रशासन द्वारा लगाए गए मेले में भी लोगों ने शिरकत की। हर किसी स्थानीय व्यक्ति की जुबान पर यही था कि ऐसे मेले हमेशा सजने चाहिए और भक्तों की भीड़ उमडनी चाहिए। जाहिर है कि लोग यहां पहुंचेंगे, तो व्यापार भी बढ़ेगा। दीगर है एमिल जागरण के वक्त भी साल 2000 में लोगों की भीड़ यंहा उमड़ी थी, तो उसके बाद यहां मंदिर की आय में भी वृद्धि हुई थी और लोगों का कारोबार भी चमका था , लेकिन आज बड़े पैमाने पर उमड़ी भीड़ ने इतिहास रच दिया है। गौरतलब है कि मकर संक्रांति की रात्रि मां बज्रेश्वरी देवी की पिंडी पर मक्खन चढ़ाने की परंपरा है। बताया जाता है कि राक्षसों का वध करते समय माता बज्रेश्वरी देवी के शरीर पर घाव आए थे तो देवी देवताओं ने मां बज्रेश्वरी पर मक्खन का लेप किया था।
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