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Shimla. शिमला। हिमाचल पर्यटन विकास निगम के घाटे वाले होटल को बंद करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार अपील में जाएगी। राज्य पर्यटन विकास निगम को 25 नवंबर से पहले इस फैसले को चुनौती देने के निर्देश सरकार की ओर से मिले हैं। इस फैसले को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। राज्य सरकार ने टूरिज्म कारपोरेशन की वित्तीय हालत को सुधारने के लिए रिटायर आईएएस अधिकारी तरुण श्रीधर की अध्यक्षता में कमेटी बना रखी है और इस कमेटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। इसी बीच हाई कोर्ट ने अपने फैसले में 18 होटल बंद करने का ऑर्डर दे दिया है। इस फैसले को अब दोबारा चुनौती देने का फैसला हो गया है। राज्य सरकार ने पर्यटन विकास निगम को 25 नवंबर से पहले एकल पीठ के इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती देने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि मंगलवार को न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने होटल बंद करने के आदेश दिए हैं। इन होटलों में विख्यात चायल पैलेस सहित धर्मशाला का होटल धौलाधार, लॉग हट्स मनाली, होटल सरवरी कुल्लू आदि शामिल हैं। इन सभी को 25 नवंबर तक बंद करना होगा। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के एमडी अदालत के आदेश की अनुपालना करवाएंगे।
तीन दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई के दौरान पर्यटन विकास निगम के एमडी आदेश की अनुपालना के संबंध में एक शपथ पत्र दाखिल करेंगे। उल्लेखनीय है कि ये होटल ऑक्यूपेंसी के मामले में निरंतर पिछड़ रहे थे। अदालत ने कहा है कि इन होटलों के प्रबंधन व रखरखाव पर एक तरह से फिजूलखर्ची हो रही है। जब इनमें निरंतर ऑक्यूपेंसी कम है, तो इन्हें चलाने का क्या लाभ है? अदालत ने इन्हें सफेद हाथी तक करार दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि वित्त से जुड़े जितने भी मामले अदालत के समक्ष आते हैं, तो राज्य सरकार वित्तीय संकट की बात कहती है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के पर्यटन विकास निगम के तहत कुल 56 होटल चल रहे हैं। कोर्ट में तथ्य सामने आया कि चायल स्थित पैलेस होटल में 50 कमरे हैं। वर्ष 2022 में यहां कुल 28.39 ऑक्यूपेंसी थी। इसके साथ ही 2023 में यहां 24.42 व 2024 26.26 फीसदी ऑक्यूपेंसी रिकार्ड की गई। अदालत में सामने आया कि हमीरपुर के होटल हमीर में 50 फीसदी से अधिक ऑक्यूपेंसी पाई गई। इसके अलावा 50 फीसदी से अधिक ऑक्यूपेंसी वाले अन्य होटलों में होटल ज्वालाजी, होटल रोस कॉमन कसौली, टूरिस्ट इन रिवालसर मंडी, होटल सुकेत सुंदरनगर व चंडीगढ़ का हिमाचल भवन शामिल है। अदालत ने कहा कि इससे साफ है कि पर्यटन विकास निगम अपनी संपत्तियों से लाभ नहीं कमा पा रहा है।
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