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HP: मनुष्य के साथ देवताओं को रास आई हिमालय की शांत वादियां

Shantanu Roy
19 Oct 2024 10:58 AM GMT
HP: मनुष्य के साथ देवताओं को रास आई हिमालय की शांत वादियां
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Kullu. कुल्लू। इस काल में मानव को बड़े शहरों में घुटन महसूस हो रही और पहाड़ों में बसना चाहते हैं। वहीं, जब देवी-देवता धरती पर आए थे तो देवी-देवताओं ने भी बड़े शहरों का वातावरण ठीक नहीं समझा था। शहर छोड़ हिमालय की कंद्राओं में बसने के लिए कुल्लू के अधिकतर आराध्य निकले पड़े थे। देवी-देवताओं का पौराणिक इतिहास बड़ा रौचक है। यहां पर तीर्थन घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र यानि तिंदर गांव में विराजमान देवता श्री लक्ष्मीनायण का इतिहास भी कुछ यूं ही बताता है। देवता भी दिल्ली से तिंदर में वास करने पहुंचे थे। भले ही अब तो नेशनल पार्क को प्रतिष्ठित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है। देश-दुनिया के हजारों-लाखों लोग यहां की वादियों को पसंद करते हैं। लेकिन यह क्षेत्र देवी-देवताओं को उस पुराने समय में पसंद आया था, जब देवी-देवता
धरती पर आए थे।


हिमालय की गोद में बसी तीर्थन घाटी की मनमोहक वादियां तिंदर गांव में विराजमान देवता श्री लक्ष्मीनारायण को उस काल में पसंद आई थी जब वे दिल्ली से आकर यहां विराजमान हुए थे। देवता का इतिहास काफी रोचक और अद्भूत है। हिमालय की अविस्मरणीय खूबसूरत वादियों में विराजमान देवता श्री लक्ष्मी नारायण की दैवीय शक्तियां आज इस कंद्रा में प्रमाणित हैं। इन दिनों दशहरा उत्सव में देवता विराजमान है। कारकून बतातें हैं नोहांडा कोठी के तिंदर गांव में विराजमान देवता श्री लक्ष्मीनारायण को दिल्ली की धरती उस वक्त पसंद नहीं आई थी जब वे धरती पर आए थे। वे वहां से शांत वादियों ढूंढने निकले पड़े। पहाड़ की शांत जगहों को ढूंढते-ढूंढते भूभू जोत, दियार, धामण, कलवारी, चदारी होते हुए तीर्थन के तिंदर पहुंचे और यहां अपना वास स्थल बनाया। देवता श्री लक्ष्मी नारायण तिंदर गांव मझली में ठाकुरों को करडू के रूप में प्रकट हुए थे। देवता ने यहां अपनी शक्ति से मानस को इतना बढ़ाया कि आज काफी परिवार यहां पर रहते हैं और देवता को मानते हैं।
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