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Shimla. शिमला। हिमाचल में मुख्य संसदीय सचिवों पर कोर्ट के फैसले के बाद अब बात भविष्य की हो रही है। शक्तियां गंवाने वाले छह एक्स सीपीएस आगामी तीन साल तक सरकार में क्या भूमिका निभाएंगे, राजनीतिक गलियारों में यह विषय बड़ी बहस में बदल गया है। हिमाचल सरकार में 12 मंत्रियों के लिए जगह है और मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्री इस समय सरकार में हैं। मंत्रियों के अलावा एक पद मुख्य सचेतक का भी है। ऐसे में सीपीएस की शक्तियां छिन जाने के बाद मंत्रिमंडल में संभावनाएं बदल रही हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने छह वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की थी और इस दौरान मंत्रिमंडल में खाली चल रहे एक पद, मुख्य सचेतक समेत विभागों और निगमों में ताजपोशी को लेकर बातचीत की थी। हालांकि उस समय उच्च न्यायालय का फैसला नहीं आया था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
अब छह सीपीएस के साथ ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन भी इकलौते मंत्रिपद के लिए कतार में हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है और साथ ही ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की व्यवस्था को लागू करने के आदेश दिए हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह नई टीम बनाने को लेकर संतुलन साधने में लगी हैं। कांगड़ा में मुख्य सचेतक पद के बड़े दावेदार माने जा रहे संजय रतन पर सरकार भरोसा जताती है, तो मंत्रिपद मंडी के हिस्से में जा सकता है। हालांकि अंतिम फैसला कांग्रेस हाइकमान की मर्जी से होगा। अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, दून से रामकुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल और कुल्लू से सुंदर ठाकुर अब सीपीएस नहीं रहे हैं। राज्य सरकार को मंत्रिमंडल में एक ही पद भरना है और इसमें कांगड़ा या मंडी को तवज्जो दी जाती है।
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