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Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में श्रम प्रधान उद्योग हैं और श्रमिकों के कल्याण, प्रबंधन और कौशल विकास पर ध्यान देना तथा उन्हें कार्यक्षेत्र में सुरक्षित परिस्थितियां प्रदान करना बेहद महत्त्वपूर्ण है। प्रदेश सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए पूर्णत: संकल्पित है। कामगारों व उनके परिजनों को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में अनुसूचित रोजगारों में काम करने वाले अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी को सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में 350 रुपए प्रतिदिन अथवा 10500 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 375 रुपए प्रतिदिन अथवा 11250 रुपए प्रतिमाह किया। इस वर्ष न्यूनतम मजदूरी पुन: बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिदिन अथवा 12000 रुपए प्रतिमाह किया गया है। इस प्रकार राज्य सरकार ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल में न्यूनतम मजदूरी में 50 रुपए प्रतिदिन की बढ़ोतरी की है। कौशल विकास भत्ता योजना के तहत गत दो वर्षों में 75485 श्रमिकों को इस योजना के दायरे में लाया गया है और पात्र आवेदकों को 89.02 करोड़ रुपए कौशल विकास भत्ता वितरित किया गया है। इसी प्रकार गत दो वर्षों में 23186 श्रमिकों को बेरोजगारी भत्ता योजना के दायरे में लाया गया।
योजना के अंतर्गत पात्र आवेदकों को 44.54 करोड़ रुपए बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया गया है। वहीं औद्योगिक कौशल विकास भत्ता योजना के अंतर्गत गत दो वर्षों में 72 लाख भत्ता प्रदान किया गया है और 269 नए पात्र आवेदकों को योजना के दायरे में लाया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा रोजगार मेलों एवं कैंपस साक्षात्कार के माध्यम से युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार के नवीन अवसर दिए जा रहे हैं। जनवरी, 2023 से अब तक श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा आठ रोजगार मेलों और 771 कैंपस साक्षात्कार किए गए और इनके माध्यम से 13637 युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार मिला है। जनवरी, 2023 से अब तक 1327 आवेदकों को सरकारी क्षेत्र में रोजगार कार्यालयों के माध्यम से रोजगार प्रदान किया गया है। राज्य सरकार द्वारा पहली अगस्त, 2023 से रोजगार कार्यालयों में पूर्णत: ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा आरंभ की गई है। रोजगार कार्यालयों में ईईएमआईएस पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को पूर्णत: ऑनलाइन पंजीकरण के नवीकरण की सुविधा उपलब्ध है। हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से श्रमिकों और उनके परिवार वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। यह सहायता विवाह, मातृत्व व पितृत्व सुिवधा, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, पेंशन, बेटी जन्म उपहार, मुख्यमंत्री आवास योजना, मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए सहायता, अंतिम संस्कार व मृत्यु सहायता आदि योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
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