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Barthi. बरठीं। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यह शब्द विकास खंड झंडूता के अंतर्गत ग्राम पंचायत सुन्हाणी के प्राचीन शिव मंदिर मनण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में पंडित प्रवेश शर्मा ने कहे। इस दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग भी सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा वाचक पंडित शर्मा ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को मक्खन व मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में भजनों से माहौल को भक्तिमय बना दिया और भगवान श्री कृष्ण के जन्म की झांकी निकाल कर खुशियां मनाई। कहा कि वैकुंठ धाम जाने के लिए श्रीमद् भागवत कथा का रसपान हर व्यक्ति को करना चाहिए। कथा के आयोजक सतपाल शर्मा, छोटा राम व रमेश ने बताया कि 31 अक्तूबर को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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