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Shimla. शिमला। प्रदेश सरकार द्वारा बिजली बोर्ड को घाटे से उभारकर लाभ में लाने के सुझाव देने को बनाई गई कैबिनेट सब-कमेटी ने बुधवार को बैठक की। बैठक में कैबिनेट सब-कमेटी ने बिजली बोर्ड के सभी चीफ इंजीनियर बुलाए थे। चीफ इंजीनियरों के साथ कमेटी के अध्यक्ष राजेश धर्माणी ने चर्चा की। बैठक में सभी मुख्य अभियंताओं को बुलाया गया था जिनसे बिजली के टैरिफ को किस तरह से कम किया जा सकता है इसपर विस्तार से चर्चा हुई है। सरकार चाहती है कि प्रदेश में उपभोक्ताओं को बिना बिजली सबसिडी दिए ही टैरिफ कम हो। यहां पर सस्ती बिजली मिले, क्योंकि हिमाचल में ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसमें जो कमियां हैं, उनको दूर करने के बाद टैरिफ को कम किया जा सकता है, जिसके उपाय सुझाने के लिए कहा गया है। चीफ इंजीनियरों को कहा गया है कि वे ड्रॉ बैक्स को खत्म करने के लिए अपने सुझाव दें और बताएं कि कहां पर दिक्कत है। इन उपायों को अपनाकर उपभोक्ताओं का बिजली टैरिफ कैसे कम किया जा सकता है, इस पर बताने को कहा गया है।
कुछ मामलों में उनसे चर्चा भी हुई है, जिस पर जल्दी ही निर्णय भी लिए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश में उद्योगपतियों को भी सस्ती बिजली दी जा सके,इस पर भी सुझाव मांगे हैं। सरकार चाहती है कि पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड की सस्ती दरों पर हिमाचल में बिजली दी जाएगी। खासकर पीक लोड ऑवर्स में बिजली का ज्यादा खर्च होता है और इसको कम करने की दृष्टि से हिमाचल में सोलर पावर का उत्पादन ज्यादा मात्रा में करने की सोची जा रही है। इसके लिए पावर कारपोरेशन को नए प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया है, जिसने मैदानी इलाकों में ऐसे प्रोजेक्टों पर काम भी शुरू कर दिया है। हिमाचल में उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली केवल सरकार द्वारा दी जाने वाली सबसिडी पर ही आधारित है। इस सबसिडी को सरकार बंद करना चाहती है और यह चाहती है कि उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली पहले से ही सस्ती हो, ताकि सबसिडी देने की जरूरत ही न रहे। ऐसे में कैबिनेट सब-कमेटी ने चीफ इंजीनियर्ज के साथ विस्तार से चर्चा की है और आने वाले दिनों में बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
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