
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर नई तकनीक आने के बाद लोगों को इस बात की चिंता सताने लगती है कि इससे उनकी नौकरियों पर कितना असर पड़ेगा। अब इसी तरह की चिंता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मेटावर्स के लिए भी जताई जाने लगी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विरुद्ध तो दुनिया के शीर्ष उद्योगपति भी एकत्र होने लगे हैं। इसी बीच आई नई तकनीक मेटावर्स को लेकर भी लोगों की चिंताएं सामने आने लगी हैं। हालांकि, इस क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि मेटावर्स का जमीनी असर इसके उपयोग में आने के बाद ही बताया जा सकेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि मेटावर्स से बाजार में सामानों की खरीद, बिक्री, ऑफिस में बैठकों और लोगों के मिलने-जुलने का तरीका बहुत हद तक बदल जाएगा। कोरोना काल में ही अनेक कंपनियों ने अपने कार्यालयों में आने वाले कर्मचारियों की संख्या में बहुत कमी की है। कोरोना काल गुजर जाने के बाद भी अनेक कंपनियों में ज्यादातर कर्मचारी अभी भी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। मेटावर्स इन कंपनियों का काम ज्यादा आसान कर देगा क्योंकि इस दुनिया में कंपनी के द्वारा कर्मचारियों की वर्चुअल मीटिंग ज्यादा प्रभावशाली और उत्पादक हो जाएगी।
प्रसिद्ध आर्थिक पत्रिका ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 तक मेटावर्स का कारोबार 800 बिलियन अमेरिकन डॉलर का हो जाएगा तो ऑर्थर डी लिटिल की नई रिपोर्ट (वेब 3 एंड मेटावर्स- द राइज़ ऑफ़ द न्यू इंटरनेट एंड द इंडिया ऑपर्च्युनिटी) में दावा किया गया है कि इस दशक के अंत तक यह क्षेत्र 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। भारत की इसमें हिस्सेदारी 200 बिलियन डॉलर की होगी। अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 8% हिस्सा वेब 3 और मेटावर्स से आएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, वेब 3 भारत के लिए नए अवसर लेकर सामने आ सकता है। भारत की सॉफ्ट पॉवर इस सेक्टर में उसे दुनिया की शीर्ष देशों में शामिल करा सकती है तो मेटावर्स के कारण खुदरा क्षेत्र के कारोबार में 37 प्रतिशत और वित्तीय सेवा क्षेत्र में लगभग 15% की बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषकर सॉफ्टपॉवर में काम कर रहे युवाओं के लिए यह रोजगार के नए अवसर लेकर सामने आ सकता है।
मेटावर्स तकनीकी के विशेषज्ञ ऑर्थर डी लिटिल के मैनेजर बार्निक चित्रन मैत्रा ने कहा कि भारत में वेब 3 और मेटावर्स बाजार 40% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे लोगों के खरीद-बिक्री के साथ-साथ घूमने-फिरने और मिलने-जुलने का तरीका बहुत हद तक बदल जाने का अनुमान है। इस समय भी लोग वर्चुअल दुनिया में बहुत अधिक समय बिताते हैं। मेटावर्स के पूरी तरह आने के बाद ऐसा हो सकता है कि लोग बाहरी दुनिया से ज्यादा इस पर अपना समय बिताएं।
इस समय भी आप ई कॉमर्स पर खरीदारी करते हैं। लेकिन इसमें आप केवल उत्पाद की फोटो-वीडियो देखकर उसको पसंद करते हैं। लेकिन मेटावर्स में आपकी थ्रीडी वर्चुअल आई़डी वर्चुअल बाजार में जाकर वस्तुओं की परख करेगी। आपकी वर्चुअल आईडी किसी वर्चुअल शॉप पर खड़े थ्रीडी वर्चुअल सेल्समैन से उसकी तकनीकी जानकारी लेगी और मोलभाव भी कर सकेगी। यानी जिस तरह आप आज बाजार जाकर सामानों को परखते हैं, दुकानदार से उसके बारे में पूछताछ और मोलभाव करते हैं, यह सब कुछ होगा, लेकिन आपकी जगह आपकी वर्चुअल आईडी आपका यह सारा काम करेगी और आप उसे कंट्रोल करते रहेंगे। यानी कहा जा सकता है कि आप ह वर्चुअल तरीके से बाजार जाकर अपने उपभोग की वस्तु खरीद सकेंगे और उसे ऑर्डर कर सकेंगे। सामान आपके घर पहुंच जाएगा।