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Ghumarwin की केट-गाहर में बनेगी हिमाचल की पहली सडक़

Shantanu Roy
19 July 2024 10:01 AM GMT
Ghumarwin की केट-गाहर में बनेगी हिमाचल की पहली सडक़
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Ghumarwin. घुमारवीं। देश के उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भी एफडीआर तकनीक से सडक़ों का निर्माण होगा। शुरुआती चरण में प्रदेश भर में 113 सडक़ें बनेंगी। बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल में हिमाचल की पहली सडक़ एफडीआर तकनीक आधारित होगी। कम लागत में पर्यावरण के अनुकूल सडक़ निर्माण की फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक के मामले में यूपी देश का अग्रणी राज्य है। हिमाचल में इस तकनीक से सडक़ का कार्य करने का श्री गणेश घुमारवीं उपमंडल की केट-गाहर संपर्क सडक़ से कर दिया है। एफडीआर तकनीक से बनने वाली केट-गाहर पर गुरुवार को काम शुरू हो गया है। सात किलोमीटर लंबी इस सडक़ पर करीब साढ़े पांच करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस तकनीक से बनी सडक़ पर्यावरण मित्र, राइडिंग गुणवत्ता, टिकाऊपन अधिक होता है । घुमारवीं उपमंडल में एफडीआर तकनीक से दो सडक़ों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें एक केट-गाहर संपर्क सडक़ है तथा दूसरी तरघेल-तड़ौन-लदरौर संपर्क सडक़ है। इस तकनीक की ख़ास बात यह है कि सडक़ें पर्यावरण मित्र होंगी तथा इससे खड्डों में हो
रहे खनन में कमी आएगी।


सडक़ों की गुणवत्ता बेहतर होगी। एफडीआर तकनीक से पुरानी सडक़ को उखाड़ कर बजरी व अन्य मटीरियल को नए तौर पर तैयार किया जाता है, जिससे नई सडक़ तैयार की जाती है। हिमाचल में एफडीआर तकनीक से पहली मर्तबा बनने जा रही करीब सात किलोमीटर गाहर-केट संपर्क सडक़ का कार्य शुरू हुआ। इस दौरान प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी मौजूद रहे। वहीं घुमारवीं के पीडब्लयूडी विभाग के अधिशाषी अभियंता मनीष सहगल ने बताया कि ट्रायल के तौर पर इस सडक़ के कुछ भाग का इस तकनीक से निर्माण किया जाएगा। इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। एफडीआई तकनीक से सडक़ निर्माण के बजट में 80 परसेंट की बचत होगी। गाहर-केट संपर्क सडक़ पर लगभग 5 करोड़ 50 लाख रुपए में किए जाएंगे। कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के अनुसार एफडीआर तकनीक से जहां एक ओर कम खर्च में सडक़ बन रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी तकनीक काफी कारगर है। दरअसल इसके निर्माण में कोलतार का प्रयोग नहीं होता है। पुरानी सडक़ की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सडक़ बनाने में किया जाता है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च नहीं होता है।
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