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Himachal: लोन घोटाले की जांच करेंगे एसपी विरेंद्र कालिया

Shantanu Roy
10 Jan 2025 11:15 AM GMT
Himachal: लोन घोटाले की जांच करेंगे एसपी विरेंद्र कालिया
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Shimla. शिमला। होटल बनाने के नाम करोड़ों के लोन के फर्जीबाडे की जांच एसपी विरेंद्र कालिया को सौंपी गई है। एसपी विरेंद्र कालिया ने इससे पहले स्टेट सीआईडी में एसपी क्राइम के पद पर रहते रहे दो हजार करोड़ के इंडिया टेक्नोमैक, मानव भारती फर्जी डिग्री मामला सहित सेब ठगी के मामले सुलझाए हैं। अब उन्हें होटल बनाने के नाम करोड़ों के लोन के फर्जीबाडे के मामले की जांच सौंपी गई है। एसपी विरेंद्र कालिया की अध्यक्षता में विजिलेंस की टीम इस मामले की जांच करेगी। मामले की जांच के लिए विजिलेंस बैंक रिकार्ड भी खंगाल रही है। होटल बनाने के नाम 20 करोड़ के लोन घोटाले के आरोप में विजिलेंस ने मेसर्स हिमालय स्नो विलेज और मेसर्स होटल लेक पैलेस के मालिकों के साथ- साथ केसीसीबी के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। होटल बनाने के नाम पर करीब 60 करोड़ के लोन का आवेदन किया गया था, जिसमें 20 करोड़ की लोन की राशि जारी कर दी गई। विजिलेंस ने करोड़ों के लोन घोटाले को लेकर जांच शुरू कर दी है। विजिलेंस पता लगा रही है कि लोन की राशि कहां कहां वितरित की गई और किसके कहने पर लोन पास
किया गया।

जांच में खुलासा हुआ है कि मेसर्स हिमालय स्नो विलेज और मेसर्स होटल लेक पैलेस के मालिकों के साथ-साथ कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के अधिकारियों और कर्मचारियों ने लोन नीतियों के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड के दिशा-निर्देशों की भी खुलेआम अवहेलना की है। विजिलेंस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धाराओं 420, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं 13 1 ए/13 2 के तहत अपने ऊना पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की है। विजिलेंस ने सरकार के सचिव सहकारिता की शिकायत के बाद शुरू की गई जांच के बाद दर्ज किया गया है, जिसके साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत अपेक्षित मंजूरी भी दी गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने केसीसीबी से 20 करोड़ रुपए की राशि के कई ऋण प्राप्त किए। ऐसा करते हुए, बैंक अधिकारियों ने कथित तौर पर स्थापित ऋण नीतियों के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई।
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